पुदीना के फायदे:रोज एक पत्ती पुदीना खाने से होते है यह लाभ
पुदीना खाने के फायदे:(Uses, Benefits, Tools and more)
पुदीना एक सुगन्धित एवं उपयोगी औषधि है । आजकल इसका प्रयोग साधारण स्थितियों में भी उपयोग करने लगे हैं पुदीना को सलाद के साथ या किसी फल के जूस के साथ या किसी औषधियों के साथ इसका उपयोग करने लगे हैं इसकी उपयोगिता को देखकर बाजार में इसकी काफी मांग भी बढ़ गई है पुदीना परिवार (लैमियासी) से संबंधित एक सुगंधित जड़ी बूटी है। यह स्वाद के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सबसे अच्छी पुदीने में से एक है। इस जड़ी-बूटी की उत्पत्ति यूरोप में हुई।
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पुदीना के फायदे |
पुदीना: आयुर्वेद के मतानुसार(according to ayurveda)
यह स्वादिष्ठ, रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, तीखा, कड़वा, पाचनकर्ता और उल्टी मिटानेवाला, हृदय को उत्तेजित करने वाला, विकृत कफ को बाहर लानेवाला तथा गर्भाशय संकोचक एवं चित्त को प्रसन्न करनेवाला, जख्मों को भरनेवाला और कृमि, ज्वर, विष, अरुचि, मन्दाग्नि, अफरा, दस्त, खाँसी, श्वास, निम्न रक्तचाप, मूत्राल्पता, त्वचाके दोष, हैजा, अजीर्ण, सर्दी-जुकाम आदि को मिटानेवाला है ।
पुदीना में विटामिन 'ए' प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें रोग प्रतिकारक शक्ति उत्पन्न करने की अद्भुत सामर्थ्य है एवं पाचक रसों को उत्पन्न करने की भी क्षमता है। पुदीना में अजवायन के सभी गुण पाये जाते हैं । पुदीना के बीज से निकलने वाला तेल स्थानिक ऐनेस्थेटिक, पीडानाशक एवं जन्तु नाशक होता है । इसके तेल की सुगन्ध से मच्छर भाग जाते हैं ।
पुदीना का पोषण तत्व (Nutrients of mint):-
मात्रा 100 ग्राम के
- पानी - 85.6 ग्राम
- ऊर्जा - 44 किलो कैलोरी
- प्रोटीन - 3.29 ग्राम
- कुल लिपिड - 0.73 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट - 8.41 ग्राम
- फाइबर (कुल आहार) - 6.8 ग्राम
- कैल्शियम - 199 मि.ग्रा
- लोहा - 11.9 मिग्रा
- पोटैशियम - 458 मिलीग्राम
- सोडियम - 30 मिलीग्राम
- जस्ता - 1.09 मिग्रा
- ताँबा - 0.24 मिलीग्राम
- मैंगनीज - 1.12 मिग्रा
- फास्फोरस - 60 मिलीग्राम
- मैगनीशियम - 63 मिग्रा
पुदीना की विशेषता(Specialty of Mint) :-
- पुदीना का ताजा रस लेने की मात्रा - बीस ग्राम
- इसके पत्तों के चूर्ण को लेने की मात्रा - तीन से छः ग्राम,
- काढ़ा लेने की मात्रा - दस से चालीस ग्राम
- अर्क लेने की मात्रा - दस से चालीस ग्राम
- पुदीना के बीज का तेल लेने की मात्रा - आधी बूँद से तीन बूँद है।
पुदीना का औषधीय उपयोग (medicinal use of mint) :-
- मलेरिया हो जाने पर - पुदीना एवं तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम लेने से अथवा पुदीना एवं अदरक का रस एक - एक चम्मच सुबह-शाम लेनेसे लाभ होता है।
- वायु एवं कृमि(कीड़े) हो जाने पर- पुदीना के दो चम्मच रस में एक चुटकी काला नमक डालकर पीने से गैस तथा वायु एवं पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं ।
- पुराना सर्दी-जुकाम एवं न्यूमोनिया होने पर- पुदीना के रस की दो-तीन बूँदें नाक में डालने एवं पुदीना तथा अदरक के एक-एक चम्मच रस में शहद मिलाकर दिन में दो बार पीने से लाभ होता है ।
- अनार्तव - अल्पार्तव - मासिक धर्म न आने पर - कम आने पर अथवा वायु एवं कफ दोष के कारण बंद हो जाने पर पुदीना के काढ़े में गुड़ एवं चुटकी भर हींग डालकर पीने से लाभ होता है । इससे कमर की पीडा में भी आराम होता है ।
- आँतों का दर्द - अपच, अजीर्ण, अरुचि, मन्दाग्नि, वायु आदि रोगों में पुदीना के रस में शहद डालकर ले अथवा पुदीना का अर्क ले ।
- दाद, खाज, खुजली हो जाने पर - पुदीना के रस में नीबू मिलाकर लगाने से दाद मिट जाती है ।
- उल्टी-दस्त, हैजा अत्यधिक होने पर - पुदीना के रस में नीबू का रस, अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने से अथवा अर्क देने से ठीक हो जाता है।
- बिच्छू का दंश (डंक) लगने पर - पुदीना का रस दंशवाले स्थान पर लगाये एवं उसके रस में मिस्री मिलाकर पिलाये। यह प्रयोग तमाम जहरीले जन्तुओं के दंश (डंक)के उपचार में काम आ सकता है।
- हिस्टीरिया - रोज पुदीना का रस निकालकर उसे थोड़ा गरम करके सुबह-शाम नियमित रूप से देने पर लाभ होता है ।
- मुख - दुर्गन्ध - पुदीना के रस में पानी मिलाकर अथवा पुदीना के काढ़े का घूँट मुँह में भरकर रखे, फिर उगल दे। इससे मुख- दुर्गन्ध का नाश होता है।
पुदीना के कुछ नुकसान( Some disadvantages of mint):
- गर्भावस्था में पुदीना का सेवन सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही करें
- यकृत में कोई समस्या है तो पुदीने का सेवन कम करें
- जो व्यक्ति चाय का सेवन करते हो उन्हें पुदीने का सेवन कम करना चाहिए
- जिन व्यक्ति के गुर्दे में कोई परेशानी है या कोई बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों को सिर्फ चिकित्सा की सलाह लेकर ही पुदीना का सेवन करें
- जो महिलाएं स्तनपान कराती हो उन्हें पुदीना का सेवन कम करना चाहिए
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