सोयाबीन, सोयाबीन खाने के फायदे

सोयाबीन में अमूल्य पोषण तत्व जानना है जरूरी(Benefits of eating soybean, how important is it for health?)

आजकल सोयाबीन का प्रयोग बढ़ रहा है। इसका प्रयोग सोयाबीन तेल, सोया चटनी, सोया प्रोटीन आदि के रूप में किया जा रहा है। इस भोजन को वसा रहित भोजन कह सकते हैं। सोयाबीन रक्तसंचार को संयत रखता है । यह रेशेदार भोजन है, जो पाचन के लिये सर्वोत्तम है। यह वजन को घटाकर शरीर को स्फूर्ति देता है। उच्च रक्तचाप वाले रोगी के लिये यह उत्तम भोजन है। इसलिए कह सकते हैं कि सोयाबीन में अमूल्य पोषण तत्व से भरपूर हैं
सोयाबीन
सोयाबीन खाने के फायदे

सोयाबीन के फायदे 

सोयाबीन एक ऐसा पुष्टिकारक अन्न है, जिसमें प्रोटीन, वसा, श्वेतसार, खनिज, लवण, लौह, विटामिन 'बी' आदि पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में विद्यमान होते हैं । इसमें मिलने वाला प्रोटीन किसी भी पदार्थों में पाये जाने वाले प्रोटीन से उन्नत (अच्छा) किस्म का होता है ।

 यह बालक, वृद्ध तथा रोगी सभी के लिये हितकर है। इससे क़ब्ज़ और गैस के रोग नहीं होते तथा बालकों का शारीरिक विकास होता है। इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी कम होती है। इसके नियमित प्रयोग से बल-वीर्य की वृद्धि होती है । शाकाहारियों को तो प्रकृति के इस अनमोल भेंट का अवश्य प्रयोग करना ही चाहिये । इसमें अति गुणकारी तत्त्वों की अपेक्षा इसका मूल्य भी काफी सस्ता है। 

सोयाबीन का दैनिक उपयोग करने की निम्नलिखित विधियाँ है:-

  1. सोयाबीन का आटा - पानी में लगभग 10 घंटे भिगो दे। फिर सुखाकर चक्की में इसका आटा पिसवा ले। इसकी अत्यन्त स्वादिष्ठ रोटी बनती है। स्वाद में गेहूँ के आटे से कुछ अलग होती है। इसके आटे से अनेक व्यञ्जन तैयार होते हैं। गेहूँ के आटे में मिलाकर इससे रोटी, पराठा, हलवा आदि बनाते हैं। इसके आटे को अधिक दिन तक नहीं रखा जा सकता ।
  2. सोयाबीन का दूध-दही – सोयाबीन को लगभग दस घंटे पानी में भिगो दे। फिर इसे बारीक पीसकर समुचित मात्रा में पानी मिलाये ताकि यह दूध- जैसा हो जाय। इसका स्वाद ठीक करने के लिये पीसते समय इसमें दो-तीन छोटी इलायची मिला दे तथा दूध को आधे घंटे तक उबाले गुणकारी और पौष्टिक दूध तैयार हो गया । इस दूध में जामन डालकर दही भी जमाया जा सकता है ।
  3. सोयाबीन का तेल - सरसों तथा मूँगफली की तरह सोयाबीन का भी तेल निकाला जाता है। पौष्टिक होने के साथ ही अन्य खाद्य तेलों से अधिक सस्ता होता है। वनस्पति या सरसों के तेल के स्थान पर इसका प्रयोग कर सकते हैं । इसका तेल सिर में लगाने से बाल काले होते हैं। सोयाबीन के तेल में कुछ बूंद नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुहाँसे ठीक हो जाते हैं ।
  4. सोयाबीन की बरी - सोयाबीन का तेल निकालने के बाद इसका जो छिलका बचता है, उससे निर्मित बड़ी पौष्टिक होती है। सब्जी, दाल आदि में डाल कर इसको उपयोग में लाते हैं।
  5. सोयाबीन की चटनी-भिगोये हुए सोयाबीन में अनुपात से नमक-मिर्च इत्यादि डालकर पीस ले। स्वादिष्ठ चटनी के रूप में इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  6. सोयाबीन की खली - पशुओं को इसकी खली खिलाने से दूध की मात्रा बढ़ जाती है। बच्चों के लिये यह दूध बहुत गुणकारी होता है

सोयाबीन=सब्जी + फल
सोयाबीन बच्चों के लिये विशेष उपयोगी है। बढ़ती हुई अवस्था में संतुलित भोजन का विशेष महत्त्व है, जिसमें विभिन्न फलों, सब्जियों आदि से प्रोटीन तथा विटामिन की प्राप्ति होती है । 

इसका अर्थ हुआ हमें संतुलित भोजन प्राप्त करने के लिये गुणों के अनुसार अलग-अलग फल तथा सब्जियाँ लेनी होंगी, परंतु सोयाबीन में ये सभी गुण मौजूद हैं। बच्चों के लिये यह दूध का विकल्प भी है।

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एक महत्त्वपूर्ण जानकारी के मुताबिक यदि किसी बच्चे को गाय के दूध के बजाय सोया दूध पिलाया जाय तो एक सप्ताह के भीतर कोलेस्ट्रॉल घटने का परिणाम स्पष्ट सामने आता है । सोया में 32 प्रतिशत तक कोलेस्ट्राल घटाने की क्षमता है। यह एक पोषक भोजन है। इसमें भरपूर विटामिन तथा प्रोटीन मौजूद हैं। साथ ही यह वसारहित भोजन है। 

कुपोषित भोजन के कारण ही 90 प्रतिशत रोगी गैस, अपच, तनाव, थुलथुलेपन तथा एनीमिया के शिकार देखे जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट की अधिकता चर्बी बढ़ाती है तथा विभिन्न तन्तुओं को नष्ट करती है । जबकि सोया में कार्बोहाइड्रेट की अधिकता नहीं होती। इसके विपरीत इसका प्रयोग रक्ताल्पता को दूर रखता है 

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सामान्य रूप से सोयाबीन के निम्नलिखित लाभ हैं-

  1. यह रक्ताल्पता दूर करता है । 
  2. पाचनशक्ति बढ़ाता है ।
  3. क़ब्ज़ दूर करता है ।
  4. कोलेस्ट्राल की मात्रा घटाकर हृदय रोगों को दूर रखता है ।
  5. वजन घटाकर शरीर को स्फूर्तिदायक बनाता है । 
  6. शरीर के विभिन्न तन्तुओं के लिये पोषक है। 
  7. वसा रहित होने के कारण उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिये उत्तम है ।
  8. बच्चों के दूध का विकल्प है

सोयाबीन खाने से हो सकते हैं ये 5 नुकसान:-

अत्यधिक सोयाबीन खाने से कुछ नुकसान भी होते हैं
  • थायराइड रोग (Thyroid Dysfunction) 
  • पाचन संबंधी समस्याएं (Digestive Issues) 
  • हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalances) 
  • एलर्जी प्रतिक्रियाएं (Allergic Reactions) ...
  • आनुवंशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified)


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