जानिए खुरासानी अजवायन के आयुर्वेदिक गुणों का खजाना

खुरासानी अजवायन: एक अनोखी मसाला की कहानी

खुरासान, यवन आदि देशों में बहुत ज्यादा पैदा होने से इसे खुरासानी या यवनी आदि नामों से जाना जाता है भारत और यूरोप में भी यह पाई जाती है खुरासानी अजवायन भारतवर्ष में कश्मीर से गढ़वाल तक 8,000 से 10,000 फुट की ऊंचाई तक पाई जाती हैं। सहारनपुर, कोलकाता, आगरा, अजमेर, पूना इत्यादि के सरकारी उद्यानों एवं खेतों में यह बोयी जाती है।
यूनानी चिकित्सकों के अनुसार खुरासानी अजवायन सफ़ेद, काली  और लाल तीन प्रकार की होती है इनमे से काली अत्यंत विषैली होती है   

खुरासानी अजवायन
Henbane

खुरासानी अजवायन की पहचान :-

खुरासानी अजवायन का पौधा अजवायन के पौधे से कुछ बड़ा, एक वर्षायु या द्विवर्षायु होता है। इसकी मूल तंतुयुक्त तथा सना गोल, सीधा और पुष्ट होता है। पत्र लम्बे-धौड़े, भिन्न-भिन्न प्रमाण के, किनारे कटे हुए या कंगूरेदार, हरे रंग के रोमशः होते हैं। शाखाओं पर भी रोम होते हैं। पुष्प गुच्छों में पीताभ हरे रंगे के बैंगनी रंग की रेखाओं से युक्त फल छोटे-छोटे 1/2 इंच व्यास के द्विकोषीय, प्रत्येक कोष में लाल मिर्च जैसे चपटे वृक्काकार अजवायन से दुगने श्यामवर्ण के बीज होते हैं।

खुरासानी अजवायन में पाए जाने वाले पौषक तत्व :-

इसके बीजों में 25 से 30 प्रतिशत तक स्थिर तेल, पत्रों एवं पुष्पों में हायोसायमिन तथा हायोसन नामक क्षाराम के साथ ऐट्रोपिन तथा स्कोपिन भी अल्प मात्रा में पाये जाते हैं। ऐट्रोपिन द्विवर्षायु पौधे की जड़ में मिलता है।

खुरासानी अजवायन के औषधीय गुण-धर्म :-

खुरासानी कफघ्न, श्वास-हर, हृदयावसादक, हृदय और कामावसादक है। शामक होने से बस्तिशोध, अश्मरी, हस्ति मेह आदि विकारों में तथा शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, रजः कृच्छता, प्रदर तथा अनियमित मासिक धर्म में यह लाभकर है। अति काम वासना को शांत करने के लिए भी इसका प्रयोग करते हैं। खुरासानी अजवायन निंद्राजनक, संकोच विकास प्रतिबंधक तथा कुछ मूत्रल होता है। थोड़ी मात्रा में यह हृदय की गति को धीमाकर उसे बल देता है। परंतु अधिक मात्रा में इसका सेवन हृदय के लिए हानिकारक है। इसकी अवसादक क्रिया मस्तिष्क, जननेन्द्रियों और आंतों पर मुख्य रूप से होती है। अफीम और धतूरे इसकी समानान्तर औषधिया है, परंतु अफीम कब्ज करती है, जबकि पारसीक यतामी इस दोष से मुक्त है। धतूरे के प्रयोग से से मद और भ्रम पैदा होता है परंतु इस बूटी से भ्रम नहीं होता इसलिए पारसीक अजवायन इन दोनों से बेहतर कार्य करती है। नींद लाने और बेटनाशमन द्रच्यों में इसे मुखा स्थान प्राप्त है। स्नायुतंत्र पर इसका शामक प्रभाव होने के कारण यह मन को शांत करती है, प्रगाढ़ निंदा आती है, बतूरे से गाढ़ी नीद नहीं आती। किसी भी कारण से मानसिक अस्वस्थता और अनिद्रा होने पर यह औषधि तत्काल लाभ करती है। इससे मन शांत होता है, दस्त साफ होता है और सुखदायक नीद आती है।
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खुरासानी अजवायन औषधीय प्रयोग :-

दंत पीड़ा में लाभ :- 

  1. खुरासानी अजवायन को समभाग राल के साथ पीसकर दांतो की गुहा में रखने से दंत पीड़ा दूर होती है।
  2. खुरासानी अजवायन के उबले पानी से कुल्ला करने पर दांतों में दर्द और मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है
  3. मसूड़ों से खून आना खुरासानी अजवायन के पत्तों के क्वाथ से कुल्ला करने से मसूड़ों से खून आना बन्द हो जाता है।

कर्णशूल में :- 

  1. खुरासानी अजवायन को तिल के तेल में सिद्ध करके कान में 2-2 बूंद टपकाने से कर्णशूल मिट जाता  है। (एक पाव खुरासानी अजवायन को एक पाव तिल के तैल में धीमे आंच पर पकाए इसके बाद उसे अच्छी तरह छान ले )

उदर शूल में लाभ :-

  1. इसकी गुड़ में गोली बना के देने से पेट की वायु पीड़ा मिटती है। इसके 12 ग्राम चूर्ण में 250 मिलीग्राम काला नमक मिलाकर खिलाने से भी लाभ होता है
  2. इसके तेल की 2-4 बूंदें, एक ग्राम सौंठ चूर्ण में मिलाकर खाने से तथा ऊपर से गर्म सौंफ का अर्क 15-20 मिलीलीटर की मात्रा में पिलाने से उदर पीड़ा शांत हो जाती है अथवा इसके 10-20 ग्राम क्वाथ में थोड़ा गुड़ मिलाकर पिलायें।

यकृत पीड़ा या कमर का दर्द में:-

  1.  इसके तेल का लेप करने से पुरानी यकृत की पीड़ा तथा छाती के दर्द में बहुत लाभ होता है।

पेट में कीड़े पड़ना :-

  1. कृमि विकार जिस पुरुष के पेट में कीड़े हों, वह सुबह ही 5 ग्राम गुड़ खाकर, कुछ समय बाद खुरासानी अजवायन के 1-2 ग्राम चूर्ण की फंकी बासी पानी से लें। आंतों में स्थित कीड़े बाहर निकल जाते है।

मूत्र रोग में :-

  1. इसके बीजों का सत्च 15-20 बूंद की मात्रा में दिन में 3-4 बार देने से मूत्रेन्द्रिय सम्बन्धी पीड़ा, पथरी इत्यादि रोगों में देने से मूत्र विरेचन होकर शांति मिलती है।

गर्भाशय की पीड़ा को दूर करे :-

  1. गर्भाशय की पीड़ा गर्भाशय की पीड़ा मिटाने के लिये इसकी बत्ती बनाकर योनि में रखनी चाहिये।

महिलओं में हिस्टीरिया रोगों में लाभ :-

  1. आवेश रोग इसकी 30 बूंदे एक-एक घंटे के अन्तर से 25-25 ग्राम पानी में मिलाकर देने से स्त्रियों का हिस्टीरिया रोग तथा प्रसूति का के पागलपन में तथा वात-वेदनाओं में लाभ होता है।

कब्ज में लाभ ;-

  1. यह वेदनाहर और निद्राकर होता है इसके प्रयोग से कब्ज नहीं होती है 

मरोड़ को दूर करे :-

  1. यह अन्य औषधीय के प्रयोग से होने वाली मरोड़ को नष्ट करता है 

पथरी को मिटाये :-

  1. पथिरी तथा वस्तिशोथ आदि में यवसार , पन तथा गुरच के साथ  खुरासानी अजवायन का प्रयोग अत्यंत लाभकरी होता है 

सावधानी :-

  • अधिक मात्रा में इसका सेवन हृदय के लिए हानिकारक होता है।

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