केवड़ा के गुणधर्म: जानिए इस प्राकृतिक उपयोगी पौधे के बारे में

केवड़ा: भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला पौधा


भारत वर्ष में केवड़े का फूल या भुट्टा या केतकी का फूल बहुत ही प्रसिद्ध है। इसकी मनोमोहिनी खुशबू प्राचीन काल से लोक प्रिय रही है। इसका पौधा गन्ने के पौधे की तरह होता है। इसके पत्ते लम्बे-लम्बे होते हैं। इन पत्तों के किनारे पर काँटे रहते हैं। इसका भुट्टा १५ से २५ सेंटीमीटरतक लम्बा रहता है। इसके पत्ते तीक्ष्ण, कटु और सुगन्धमय होते हैं। ये विषनाशक, कामोद्दीपक और पथरी तथा अर्बुद में लाभदायक होते हैं।
 इसका फूल कड़वा, तीक्ष्ण और शरीरके सौन्दर्य को बढ़ाने वाला होता है। इसकी केशर फेफड़े के ऊपरकी झिल्ली के प्रदाह में उपयोगी होती है। इसका फल वात, कफ और मूत्राशय की तकलीफों में फायदा करता है।
kevda ka phal


केवड़ा के फायदे: जानिए इस पौधे के स्वास्थ्य लाभों के बारे में

रक्तप्रदर गर्भपात - केवड़े की जड़ ६ माशे से तोलाभर  तक गाय के दूध में घिसकर शक्कर मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से भयंकर रक्तप्रदर भी शान्त होता है। जिस स्त्री को हमेशा गर्भपात होनेकी शिकायत हो, उसको भी यह औषधि गर्भ रहने के दूसरे महीने से चौथे महीने तक सेवन कराने से गर्भपात बंद हो जाता है।

वायु गोला की दवा - केवड़े की सूखी जड़ों के टुकड़े करके मिट्टीकी एक बड़ी हाँड़ी में भरकर उस हाँड़ी पर ढक्कन लगाकर उसकी सन्धियाँ आटे से बंद कर देनी चाहिये। जिससे उसका धुआँ बाहर न जा सके। उसके बाद उसे चूल्हेपर चढ़ाकर नीचे से आग जला कर राख लेना चाहिये। जितनी राख हो उससे चौगुना पानी लेकर उस राखको उसमें अच्छी तरह से घोल देनी चाहिये। 
उसके बाद उस बर्तनको २४ घंटे स्थिर पड़ा रहने देना चाहिये। फिर जब राख नीचे बैठ जाय तब उसका पानी निखारकर आगपर चढ़ाकर उसका क्षार निकाल लेना चाहिये। यह केवड़ेका क्षार १ माशा, सोडा बायकार्ब १ माशा और कूट १ माशा- इन तीनोंको मिलाकर ४ तोले तिल्लीके तेलके साथ पीने से अत्यन्त भयंकर वायु गोले का दर्द भी नष्ट हो जाता है।

केवड़ा: एक अद्वितीय पौधा जिसके बारे में आपको जानना चाहिए

केवड़ा दिल की गर्मी, मेदे (पेट)  की गर्मी और मूर्च्छा को दूर करता है। दिल और दिमाग को ताकत देता है और खून को साफ करता है।

केवड़े के पत्ते कुष्ठ, छोटी माता, उपदंश, खुजली और हृदय तथा मस्तिष्ककी बीमारियों में लाभदायक हैं। इसका केशर कान के दर्द, कुष्ठ, विस्फोटक और रक्तविकार में फायदा करता है। इसके भुट्टों से निकाला हुआ तेल उत्तेजक और आक्षेप-निवारक माना जाता है।

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