कनेर के फूल के औषधीय उपयोग: जानिए कैसे इसे उपयोग करके आप अपनी सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं
कनेर के फूल के औषधीय उपयोग: आपके स्वास्थ्य के लिए इसके गुणों का उपयोग कैसे करें
भारत वर्ष की पुष्पवाटिकाओं में अक्सर बोया जाने वाला पौधा कनेर है। देव-पूजा में आनेके कारण भारत में कनेर का पुष्प बहुत प्रसिद्ध है। इसके पत्ते तीखी नोक वाले और लम्बे होते हैं। इसके फूल लाल, गुलाबी, पीले और सफेद होते हैं। कनेर की दो प्रजातियाँ-शहरी और जंगली पायी जाती हैं।![]() |
कनेर का पेड़ व फूल |
जंगली कनेर के पत्ते खुरपे की तरह और बहुत पतले होते हैं। इसकी शाखाएँ पतली और जमीनपर बिछी हुई होती हैं। इसके पत्ते के पास काँटे होते हैं। शहरी कनेर में काँटे नहीं होते। अश्वमारक,करवीर, हरिप्रिय तथा गौरीपुष्प आदि इसके कई नाम हैं।
जानिए इस पौधे के आयुर्वेदिक लाभ
- कनेर की जड़ - इसकी जड़ कड़वी, कामोद्दीपक और पेट की पुरानी पीड़ाओं के लिये लाभकारी होती है। जोड़ों के दर्द में भी यह लाभदायक है। यह बहुत विषैली है। सर्प विष को भी दूर करने की इसमें शक्ति है।
- कनेर के पुष्प - इसके पुष्प स्वाद में कड़वे होते हैं। ये प्रदाह, मज्जा और जोड़ों के दर्द, कटिवात, सिर दर्द और खुजली में लाभदायक होते हैं।
खुजली और चर्म रोग लाभदायक है : कनेर
कनेर के पत्ते या फूल को पानी में धो दें। फिर इस पानी से आधे वजन का जैतून का तेल लेकर उसे पानी में डाल दे और इसे गर्म करे। जब पानी जल करके केवल तेल मात्र रह जाय, तब उसमें चौथाई वजन मोम मिलाकर उतार ले। इस तेल को हर प्रकार की खुजली पर मालिश करने से लाभ होता है।कनेर की जड़ को पानी में उबालकर उसमें राई का तेल डालकर औटावे। जब पानी जलकर तेल मात्र रह जाय, तब उसको उतारकर छान ले। इस तेल को चर्म रोगों पर मलने से बड़ा लाभ होता है।
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