कपास के औषधीय उपयोग: एक प्राकृतिक रामबाण जड़ी-बूटी

कपास के पेड़ व जड़ और रूई की उपयोग विधि और ठीक होने वाली बीमारी(Benefits Of Cotton Tree):-

भारत देश में कपास की खेती बहुत बड़े पैमाने पर होती है। इसके पौधे 3 से 5 फीट तक लम्बे होते हैं। इसके फूल पीले और लाल रंग के होते हैं। कपास की काली और सफेद दो प्रजातियाँ होती हैं। एक नारिया वाली कपास होती है, जिसके पेड़ बड़े-बड़े होते हैं और फल-फूल 12 महीने होते हैं, इसकी रुई नरम तथा बिनौले हरे होते हैं। 

कपास का फूल और रुई

तो विस्तार में जानते है कपास के पेड़ व जड़ और रूई की उपयोग विधि और ठीक होने वाली बीमारी के बारे में 

कपास के गुण-दोष उपयोगिता

आयुर्वेद के मत से कपास के फूल मीठे, शीतल, पौष्टिक और दूध बढ़ाने वाले होते हैं। ये पित्त और कफ को दूर करते हैं। प्यास को बुझाते हैं तथा भ्रान्ति, चित्त की अस्थिरता और बेहोशी को दूर करते हैं। कपास के पत्ते वात रोग को दूर करते और खून को बढ़ाते हैं। ये मूत्र निस्सारक और कान की सभी प्रकार की तकलीफों को दूर करने वाले होते हैं। इसके बीज अर्थात् बिनौले की खर बनती है जिसे गाय ब भैंस को खिलाने से दूध बड़ाने में सहायता होती  हैं। इस वनस्पति के सभी हिस्से चर्म रोगों में, साँप और बिच्छू के जहर में तथा गर्भाशय की पीड़ाओं में उपयोगी हैं।

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कपास के पेड़ जड़ व बीज और रुई से ठीक होने वाली बीमारी

  1. श्वेत प्रदर में - कपास की जड़ को चावल के पानी के साथ पीस कर पिलाने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
  2. कष्टार्तव - कपास की जड़ की छालका क्वाथ पिलाने से मासिक धर्म के समय होने वाला कष्ट मिट जाता है।
  3. अण्ड वृद्धि - बिनौले की मींगी और सोंठ को जल के साथ पीसकर लेप करने से अण्ड वृद्धि मिटती है।
  4. पागलपन में - कपास के पुष्प का शरबत पिलाने से पागलपन मिटता है और चित्त प्रसन्न होता है।
  5. दन्त की पीड़ा - बिनौले को औटाकर उनके पानी से कुल्ले करने से दाँतों की पीड़ा मिट जाती है।
  6. कामला - 5 माशे बिनौले रात को पानी में भिगो दे। प्रातःकाल उनको पीसकर, छानकर और सैन्धव नमक मिलाकर पीने से कामला-रोग में लाभ होता है।
  7. मूत्रदाह में- कपास की जड़ का काढ़ा पिलाने से पेशाब के समय की जलन और पीड़ा मिटती है।
  8. आमातिसार में- कपास के पत्तों का रस पिलाने से आमातिसार में लाभ होता है।
  9. आग से जलने में - इसकी मींगी को पीसकर लेप करने से आग की जलन मिटती है।
  10. बदगाँठ मैं- कपास के बीजों को पीसकर टिकिया बनाकर बदगाँठ पर बाँधने से बदगाँठ बिखर जाती है।
  11. घाव व जख्म में - रूई की भस्म को भुरभरने  से घाव और टांकिया में बहुत जल्द आराम हो जाता है
  12. धातु दौर्बल्य – बिनौले की मींगी को दूध में खीर बनाकर खिलाने से धातु दौर्बल्य और मस्तिष्क की कमजोरी में बहुत लाभ पहुँचता है।

दैनिक जीवन में कपास का महत्त्व

मानव जीवन के लिए कपास एक बहुत महत्वपूर्ण फसल है कपास एक बहुत प्राचीन प्राकृतिक फाइबर हैं जिसकी जरूरत हर इंसान को पड़ती है कपास से हमारे वस्त्र और अन्य उपयोगी सामानों की पूर्ति होती है कपास का उपयोग मेडिकल क्षेत्र में भी बहुत अधिक किया जाता है
भारत में, कपास की प्रमुख खेती प्रायः राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में की जाती है। यहाँ के मिट्टी , मौसम और जलवायु के उपयुक्त मिलते हैं, जिनके कारण कपास की उत्तम खेती की जाती है।

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