अनानस खाने के फायदे ,नुकसान, दूर होने वाली बीमारी

अनानस खाने के फायदे ,नुकसान, दूर होने वाली बीमारी(Benefits and method of eating pineapple):-

रसीले फलों में अनन्नास को  सिर का ताज माना गया है। खट्टा-मीठा, सोंधा और तीखे स्वाद वाला यह फल अपनी तासीर और फायदो के लिये प्रसिद्ध है। यह प्राय: गर्मियों से बारिश के बीच बड़ी तादाद में उपलब्ध रहता है। 

अनानास के फायदे
अनानास

अनानास के एक गिलास जूस में 53 कैलरी ऊर्जा (एनर्जी) होती है और दूसरे अन्य आवश्यक पोषक तत्व (न्यूट्रिएंट्स) होते हैं जो दिन भर आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता हैं। 

अनानस में निम्न पोषक तत्व होते हैं 

पोषण संबंधी तत्त्व (वैल्यू /100 ग्रा. )
  • कार्बोहाइड्रेट्स - 12.9 ग्रा. 
  • प्रोटीन - 0.36 ग्रा. 
  • फैट्स - 0.12 ग्रा.
  • शुगर - 9.98 ग्रा.
  • फाइबर - 0.2 ग्रा.
  • सोडियम - 2 मि ग्रा.  
  • पोटैशियम - 130 मि ग्रा. 
  • मैग्नीशियम - 12 मि ग्रा. 
  • आयरन - 0.31 मि ग्रा. 
  • सेलेनियम - 0.1 µg 
  • फॉस्फोरस - 8 मि ग्रा. 
  • ज़िंक - 0.11 मि ग्रा. 
  • कॉपर - 0.069 मि ग्रा. 
  • राइबोफ्लेविन - 0.021 मि ग्रा.
  • विटामिन C - 43.8 मि ग्रा.
  • थायमीन - 0.058 मि ग्रा.
  • नियासिन - 0.199 मि ग्रा. 
  • फोलेट - 18 µg 
  • विटामिन B6 - 0.1 मि ग्रा. 
  • B-कैरोटीन - 3 µg 
  • कॉलिन - 3.3 मि ग्रा. 
  • ऊर्जा- 53 किलो कैलरी
इतिहास - अनन्नास ब्रोमीलीआ (आपनस) नामक विशाल वनस्पति- कुलका सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम' एनानास कोमोसस' है। कहते हैं कि जब क्रिस्टोफर कोलम्बस अमरीका की अपनी द्वितीय समुद्री यात्रा पर निकला तो मार्ग में वेस्टइंडीज के गवडएलअप द्वीप के लोगों को उसने यह फल खाते देखा। देवदारु वृक्ष के शंकु फलों की तरह दिखायी देने के कारण उसने इस फलको 'इंडीजके देवदारु' कहा और इस तरह पहली बार शेष दुनिया को इस फल के बारे में जानकारी मिली।

भारत में अनन्नास सन् १५५० ई० के आसपास समुद्री यात्रा करनेवाले पुर्तगालियों के माध्यम से पहुँचा और जल्दी ही यहाँ से चीन सहित समस्त दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिणी प्रशान्त सागर के द्वीपों में भी लोकप्रिय हो गया। इसके गुणों और उपयोगिता को देखते हुए १७वीं सदी के मध्य में यूरोप के विभिन्न भागों, विशेषतः इंग्लैण्ड और फ्रांस में इसकी खेती व्यापक पैमाने पर प्रारम्भ हो गयी।

अनानस की उत्पत्ति(Origin of pineapple)-सुन्दर दिखनेवाला यह रसीला फल वास्तव में सौ से दो सौ तक की संख्या में परस्पर जुड़े लघु फलों (जिन्हें इसकी आँखें भी कहा जाता है) - के संयोग से बना होता है। प्रत्येक आँख एक पृथक् फूल और उसके आसपास के भागों से बनती है। अनन्नास के शिरोमणि को काट कर मिट्टी में दबा देने से दूसरा पौधा तैयार किया जा सकता है। वैसे इसके पौधे के तने पर अँखुए निकले रहते हैं, उनसे भी अन्य पौधे उगाये जाते हैं। इन पौधों के तने छोटे-छोटे और गूदेदार होते हैं, जिन पर अनन्नास लगभग एक मीटर लम्बी आरी के से किनारों वाली सख्त पत्तियों के साथ गुच्छों से उगता है। इस गुच्छे को उत्पन्न होने में प्रायः एक से दो साल तक का समय लगता है। यह अवधि अनन्नास की प्रजाति पर भी निर्भर करती है। परंतु सुमधुर और रसीला होने में इसे लगभग चार माह की अवधि और लग जाती है। जब इसकी सतह पर बनी असंख्य आँखें खुलने -सी लगती हैं, तब इसका अर्थ होता है कि अब फल पक गया है।

अनानस का जूस पीने के फायदे (Benefits of drinking pineapple juice):-

  • अनानस का जूस एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य कर सकता है।
  • यह एनाल्जेसिक प्रभाव हो सकता है (दर्द से आराम मिल सकता है)।
  • इसमें एंटी-इन्फ्लामेट्री क्रिया होती है।
  • इसमें एंटी-कैंसर क्रिया होती है।
  • यह एक थक्कारोधी (एंटीकोएग्यूलेन्ट) एजेंट के रूप में कार्य करता है खून में थक्का बनने से रोक सकता है। इसमें घाव भरने की क्रिया हो सकती है। 
  • कहते हैं कि अनानस के जितने उपयोग होते हैं, उतनी ही इसकी आँखें भी होती हैं। स्वादिष्ठ होने के साथ-ही-साथ यह विटामिन 'ए' और 'सी' तथा कुछ हद तक विटामिन 'बी' का भी उत्तम स्रोत है। 
  • इसका रस पाचनशक्ति में सहायक होता है तथा अम्लजनित बदहजमी में राहत पहुँचाता है । 
  • परम्परागत घरेलू दवा के तौर पर बच्चो के पेट में उत्पन्न होने वाले कृमियो को नष्ट करने के लिये भी इसका प्रयोग किया जाता है। 
  • छोटे एवं कच्चे अनन्नास में एक विषैला तत्त्व होता है, जिसका तीव्र शुद्धिकारक तत्त्व के रूप में प्रयोग किया जाता है।

अनानस के अन्य उपयोग 

फल के अतिरिक्त इस के पत्तो का उपयोग भी कोई कम नहीं है। इसके पत्ते सख्त होते हैं। इनके रेशे से महीन अर्ध पारदर्शी कपड़ा बुना जाता है। चीन में इन रेशो को तिनकों और बाँस के साथ मिश्रित करके कागज बनाया जाता है। जिस पर बड़ी सुन्दर चित्रकारी की जाती है। अनन्नास का छिलका भी बहुत उपयोगी है। कहीं-कहीं इस छिलके से सिरका बनाया जाता है, लेकिन इन्हें भट्ठी में सुखाकर जानवरों के लिये पोषक चारा तैयार किया जाता है। इसके रस से बने उत्पादों का भी तरल चीनी के रूप में या सलकोबिर्क अम्ल तथा पेय एवं चिकित्सकीय उपयोग की दृष्टि से सिट्रिक अम्ल के तौरपर प्रयोग होता है। इसके एसेन्स का स्वाद तथा सुगन्ध के लिये प्रयोग किया जाता है। 
इसका मुरब्बा भी बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।

नुकसान
  1. आनानस का जूस ज्यादा मात्रा मे पीने से मुँह और भोजन की नली में खराश हो सकती है। 
  2. अनानास जूस में मौजूद अधिक शुगर की (डाइबीटीज़) मात्रा को बढ़ा सकती है।
  3. कच्चा फल जहरीला हो सकता है। इसके साथ ही, इस फल में मौजूद अम्ल के कारण इससे गले में जलन हो सकती है।
  4. खाली पेट खाने से साइट्रिक अम्ल बड़ जाता है जिससे पेट का लेबल स्तर खराब हो जाता है
  5. कच्चे अनानस खाने से एसिड के कारण से दांत खराब हो सकते है और मसूड़े की सूजन का कारण भी बन सकता है।
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