नींबू को आप कितना जानते है नींबू के सैकड़ो फायदे है इसके प्रयोग को कोई नहीं जानता
नींबू के अनंत लाभ जान कर परेशान हो उठेगै आप:-
नींबू एक ऐसा पेड़ है जिसका जरूरत हर व्यक्ति को होती है नींबू एक झाड़ीदार वृक्ष है इसकी शाखाएँ काँटेदार, पत्तियाँ छोटी, डंठल पतला तथा पत्तीदार होता है फूल की कली छोटी और सफेद होती है नीबू गोल या अंडाकार होता है। छिलका पतला होता और गूदे से भली भाँति चिपका रहता है इसका फल जब कच्चा रहता है तो यह हरा रंग का होता है जब पक जाता है तो फल पीले रंग का हो जाता है इसकी कई किस्में होती हैं जिनमें कागजी नींबू सबसे अधिक लोकप्रिय है यह भारत के लगभग हर क्षेत्र में पाया जाता है विश्व में सबसे अधिक नीबू का उत्पादन भारत में होता है। यह विश्व के कुल नीबू उत्पादन का 16 प्रतिशत भाग उत्पन्न करता है।![]() |
नींबू के गुण |
मानव जीवन में नींबू की उपयोगिता बहुत अधिक है। इसका प्रयोग अधिकतर भोज्य पदार्थों में किया जाता है।
नींबू में पाए जाने वाले पोषक तत्व
इसमें -पोटेशियम, लोहा, सोडियम, मैगनेशियम, तांबा, फास्फोरस और क्लोरीन तत्त्व तो हैं ही, प्रोटीन, वसा और कार्बोज भी पर्याप्त मात्रा में हैंनीबू में A,B ओर C विटामिनों की भरपूर मात्रा होती है नींबू में इसका अनुपात विटामिन A अगर एक भाग है तो विटामिन B दो भाग और विटामिन C तीन भाग होता है
नींबू के प्रकार
नीबू की लगभग दस ग्यारह प्रजातियाँ होती हैं।
सामान्यतया नीबू अम्लरसयुक्त, वातनाशक, दीपक, पाचक और लघु होता है।
मीठा नीबू भारी, तृषा एवं वमन, वात-पित्तनाशक और बलदायक होता है।
बिजौरा नीबू कास, श्वास, अरुचि, रक्तपित्त तथा तृषानाशक है।
चकोतरा नीबू - स्वादिष्ठ, रुचिकारक, शीतल, भारी तथा रक्तपित्त, क्षय, श्वास, कास, हिचकी एवं भ्रम-नाशक है।
जम्बीरी नीबू उष्ण, गुरु, अम्ल तथा वात-कफ-दोष, मलबन्ध, शूल, खाँसी, वमन, तृषा, आमसम्बन्धी दोष, मुखकी विरसता, हृदय की पीडा, अग्निकी मन्दता और कृमिनाशक है।
नीबू अनेक रोगों में सेवन कराया जाता है। नीबू के बीज, फूल, जड़ आदि भी विभिन्न गुणों से युक्त होते हैं।
प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथ के अनुसार नींबू के महा चमत्कार
पथरी होने पर - एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर सैंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दो बार नित्य एक महीना पीने से पथरी पिघलकर निकल जाती है।
पथरी का दर्द होने पर - अंगूर के साठ पत्तों पर आधा नीबू निचोड़कर पीसकर चटनी बना लें। इसे दो चम्मच हर दो घंटे में तीन बार खाने से पथरी से होने वाला दर्द दूर हो जायगा।
नाख़ून के रोग - नाखूनों पर नित्य नीबू रगड़ें, रस सूख जाने के बाद पानी से धोयें। इससे नाखूनों के रोग ठीक हो जाते हैं।
बाल गिरना, रूसी (डेनड्रफ ) होने पर -
- एक नीबू के रस में तीन चम्मच चीनी, दो चम्मच पानी मिलाकर, घोलकर बालोंकी जड़ोंमें लगाकर एक घंटे बाद अच्छे- से सिर धोनेसे रूसी दूर हो जाती है। बाल गिरना बंद हो जाता है।
- सिर में नीबू की रस भरी फाँक रगड़कर स्नान करनसे बाल गिरने बंद होते हैं।
गंजापन होने पर -
- नीबू के बीजों पर नीबू निचोड़कर एवं पीसकर बाल उड़ी हुई जगह (गंज वाले स्थान) पर लेप करें। चार-पाँच महीने लगातार लगानेपर बाल उग आते हैं।
- तीन चम्मच चने के बेसन में एक नीबू का रस, थोड़ा पानी डालकर गाढ़ा घोल बनाकर गंज पर लेप करें तथा सूखने पर धोयें, फिर समान मात्रा में नारियल का तेल, नीबू का रस मिलाकर सिर में लगायें। बाल आ जायेंगे।
सिर में फुंसियाँ, खुजली, त्वचा सूखी और कठोर हो - वो बालों में दही लगाकर दस मिनट बाद सिर धोयें। बाल सूख जाने पर समान मात्रा में नीबू का रस और सरसों का तेल मिलाकर लगायें। यह प्रयोग लम्बे समय तक करें।
सिर में जुएँ होने पर - समान मात्रा में नीबू का रस और अदरक का रस मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से जू मर जाते हैं। यह रस लगाकर एक घंटे बाद सिर धोयें। सिर धोनेके बाद नीबू का रस और सरसों का तेल समान मात्रा में मिलाकर नित्य बालों में लगायें।
बालों को काले करना - एक नीबू का रस, दो चम्मच पानी, चार चम्मच पिसा हुआ आँवला मिला लें। यदि पेस्ट नहीं बने तो पानी और मिला लें। इसे एक घंटा भीगने दें। फिर सिर पर लेप करें। एक घंटे बाद सिर धोयें। साबुन, शैम्पू धोते समय नहीं लगायें। धोते समय पानी आँखों में नहीं जाय, इसका ध्यान रखें। यह प्रयोग हर चौथे दिन करें। कुछ महीनों में बाल काले हो जायेंगे।
हृदय की धड़कन - नीबू ज्ञान-तन्तुओं की उत्तेजना को शान्त करता है। इससे हृदय की अधिक धड़कन सामान्य हो जाती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों की रक्त वाहिनियों को यह शक्ति देता है।
कमर दर्द - चौथाई कप पानी में आधा चम्मच लहसुन का रस और एक नीबू का रस मिलाकर दो बार नित्य पीयें। यह पेय कमर-दर्द में लाभदायक है।
आमवात, गठिया, जोड़ों के दर्द में - नित्य प्रातः एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर पीयें। नीबू की फाँक दर्द वाली जगह पर रगड़कर फिर स्नान करें।
गला दर्द, गला बैठना, गले में ललाई होने पर - एक गिलास गरम पानी में नमक और आधा नीबू निचोड़कर सुबह-शाम गरारे करें।
नेत्र ज्योतिवर्धक - एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर प्रात: भूखे पेट हमेशा पीते रहें। नेत्र ज्योति बनी रहेगी। पेट साफ रहता है, शरीर स्वस्थ रहता है। नीरोग रहने का यह प्राथमिक उपचार है।
अपच (Dyspepsia) -
- यदि भोजन नहीं पचता हो, खट्टी आती हों, पपीते पर नीबू, काली मिर्च डालकर सात दिनों तक प्रातः खायें।
- भोजन के साथ मूली पर नमक, नीबू डाल कर नित्य खायें।
- नीबू पर काला नमक, काली मिर्च डालकर तीन बार नित्य चूसें। अपच तथा पेट के सामान्य रोग ठीक हो जायेंगे। भूख अच्छी लगेगी। खाने से पहले नीबू पर सेंधा नमक डालकर चूसें।
भूख न लगने पर - भोजन करनेके आधा घंटा पहले एक गिलास 5 पानीमें नीबू निचोड़कर पीनेसे भूख अच्छी लगती है।
मुँह की दुर्गन्ध - एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर दो चम्मच गुलाब जल डालकर भोजन के बाद इस पानी से तीन कुल्ले करके बचा हुआ सारा पानी पी जायें। मुँह से दुर्गन्ध नहीं आयेगी।
कड़वा स्वाद लगने पर -
- रोगी प्राय: कहते हैं कि मुँह का स्वाद कड़वा रहता है, स्वाद खराब रहता है, जिससे खाना अच्छा नहीं लगता।
- नीबू की फाँक पर काली मिर्च, काला नमक डाल कर तवे पर सेंक कर चूसने से मुँह में कड़वे पन का स्वाद अच्छा हो जाने से भोजन के प्रति रुचि बढ़ती है।
पेट में गैस बनने पर -
- एक चम्मच नीबू का रस, एक चम्मच पिसी हुई अजवाइन, आधा कप गरम पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीयें।
- एक गिलास पानीमें एक नीबू निचोड़कर चौथाई चम्मच मीठा सोडा मिलाकर नित्य पीयें।
- आधा गिलास गरम पानी में आधा नीबू निचोड़कर जरा-सी पिसी हुई काली मिर्च की फक्की सुबह-शाम लें।
- सोंठ एक चम्मच साबूत अजवाइन 50 ग्राम नीम के रस में भिगोकर छाया में सुखायें। जब भी खाना खायें, खाने के बाद इसकी एक चम्मच चबायें।
- नीबू काटकर इसकी फाँकों में नमक, काली मिर्च भर कर गरम करके चूसने से गैस में लाभ होगा।
छाले (स्टोमेटाइटिस) हो जाने पर -
- एक गिलास गरम पानी में आधा नीबू निचोड़कर चार बार नित्य कुल्ले करें।
- नित्य एवं पानी में स्वाद के लिये चीनी या नमक डालकर प्रात: भूखे पेट पीयें। रातको सोते समय एक गिलास गरम दूध में एक चम्मच घी डालकर पीयें। लम्बे समय-दो महीने तक प्रयोग करने से भविष्य में छाले होने बंद हो जाते हैं।
हिचकी आने पर -
- नीबू के पेड़ से हरी पत्तियाँ तोड़कर चबाकर रस चूसें हिचकी बंद हो जाती है।
- तेज गरम पानी में नीबू निचोड़कर घूँट-घूँट पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
- नीबू, सोंठ, काली मिर्च, अदरक- सब अल्पमात्रा में लेकर चटनी बनाकर चाटें।
- नीबू में नमक भरकर चार बार चूसें।
- काला नमक, शहद और नीबू का रस बाद मिलाकर चाटें। इन प्रयोगों से हिचकी बंद जाती है।
अम्लता (एसिडिटी) होने पर -
- खाना खाने के एक कप पानीमें आधा नीबू, जरा-सा खाने का सोडा मिलाकर प्रतिदिन दो बार पीयें।
- दोपहर में भोजन से आधा घंटा पहले नीबू की मीठी शिकंजी दो महीने तक पीयें। खाने के बाद न पीयें। खट्टी डकारें- यदि खट्टी डकारें आती हों तो गरम पानी में नीबू निचोड़कर पीयें ।
पेट में दर्द होने पर -
- पचास ग्राम पुदीने की चटनी पतले कपड़े में डालकर निचोड़कर रस निकालकर इसमें आधा नीबू निचोड़ें। दो चम्मच शहद और चार चम्मच पानी पीने से पेट का तेज दर्द शीघ्र बंद हो जाता है
- आधा कप पानी, दस पिसी हुई काली मिर्च, एक चम्मच अदरक का रस, आधे नीबू का रस, सब मिलाकर पीने से पेट दर्द ठीक हो जाता है। स्वाद के लिये चीनी या शहद चाहें तो मिला लें।
- एक नीबू, काला नमक, काली मिर्च, चौथाई चम्मच सोंठ, आधा गिलास पानी में मिलाकर पीने से पेट-दर्द ठीक हो जाता है।
- अजवाइन, सेंधा नमक को नीबू के रस में भिगोकर सुखा लें। पेट-दर्द में एक चम्मच चबाकर पानी पीयें। इस प्रकार हर एक घंटे में जब तक दर्द रहे इसे लेते रहें। पेट की सिकाई करें।
- कीड़ों के कारण पेट-दर्द होने पर या पेट में कीड़े हों तो सात दिन दो बार नित्य नीबू की एक फाँक में पिसा जीरा, काली मिर्च, काला नमक भरकर चूसें।
- मूलीपर नमक, नीबू, काली मिर्च डालकर खाने से अपचका पेट दर्द ठीक हो जाता है।
- किसी उत्सव आदि में अधिक खाना खाने से अपच, गैस से पेट दर्द हो तो एक कप तेज गरम पानी में भुना हुआ जीरा, पिसी हुई अजवाइन, नीबू और चीनी सब स्वाद के अनुसार मिलाकर चार बार नित्य पीयें।
- आधा कप मूली के रस में आधा नीर निचोड़कर नित्य दो बार पीने से खाना खाने के बाद होने वाला पेट-दर्द ठीक हो जाता है।
- चीनी, जीरा, नमक, काली मिर्च, एक कप गरम पानी नीबू मिलाकर तीन बार नित्य पीयें।
- बार-बार नीबू का पानी पीते रहने से पेट-दर्द, वायु-गोले का दर्द ठीक हो जाता है।
यकृत् संबंधी रोग - नीबू, पानी एवं दस काली मिर्च मिलाकर नित्य पीते रहें यकृत्-सम्बन्धी रोग ठीक हो जायँगे।
कब्ज होने पर -
- गरम पानी और नीबू प्रात: भूखे पेट पीयें। एक गिलास हलके गरम पानी में एक नीबू निचोड़कर एनिमा लगायें। पेट साफ हो जायगा। कृमि भी निकल जायँगे।
- एक गिलास गरम पानी में एक नीबू, दो चम्मच एरण्डी का तेल (कैस्टर ऑयल) मिलाकर रात को पीयें।
- एक चम्मच मोटी सौंफ तथा पाँच काली मिर्च चबायें, फिर एक गिलास गरम पानी, एक नीबू और काला नमक मिलाकर रात को नित्य पीयें।
- प्रात: भूखे पेट अमरूद पर नमक, काली मिर्च, नीबू डालकर प्रतिदिन खायें।
- प्रात: भूखे पेट नीबू-पानी तथा रात को सोते समय नीबू की शिकंजी पीने से कब्ज दूर होता है। लम्बे समय तक पीते रहें। पुराना कब्ज भी दूर हो जायगा ।
उल्टी होने पर -
- आधा कप पानीमें पंद्रह बूँद नीबू का रस, भुना एवं पिसा हुआ जीरा, पिसी हुई एक छोटी इलायची मिलाकर हर आधे घंटेमें पीयें। उल्टी होनी बंद हो जायगी।
- नीबू के छिलके सुखाकर, राख बना लें। चौथाई चम्मच राख, आधा चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से उलटी बंद हो जाती है।
- दो छोटी इलायची पीसकर नीबू की फाँक में भरकर चूसने से उलटी बंद हो जाती है।
- चौथाई कप पानी में आधा नीबू निचोड़कर मिला लें। इसकी एक चम्मच हर पंद्रह मिनट में पीयें। उलटी बंद हो जायगी।
- सेंधा नमक और हरे धनिये पर आधा नीबू निचोड़कर बना लें। जब तक उलटी हो, बार- बार आधा चम्मच चाटते रहें ।
- नीबू की एक फाँक में मिस्री भरकर चूसें।
- जी मिचलाते ही, उलटी की इच्छा होते ही नीबू की फौक में काला नमक, काली मिर्च भरकर चूसें। उल्टी नहीं होगी।
- यात्रामें उल्टी हो तो नीबू चूसते रहें।
- शिशु दूध पीनेके बाद उल्टी करते हों तो दूध पिलाने के कुछ देर बाद तीन बूँद नीबू का रस एक चम्मच पानी में मिलाकर पिलायें।
गर्भावस्था की उल्टी (मॉरनिंग सिकनेश) -
- 100 ग्राम कच्चा जीरा, तीस ग्राम सेंधा नमक पीसकर नीबू के रस में तर कर लें, ये रस में डूबे रहें इनको ऐसे ही रहने दें। प्रतिदिन एक बार स्टील की चम्मच से हिला दें। सूख जाने पर आधा चम्मच प्रतिदिन तीन बार चबायें। गर्भावस्था में होने वाली उल्टियां बंद हो जायेंगी।
- ठंडे पानी में नीबू निचोड़कर पीनेसे गर्भावस्था की उलटी में लाभ होता है।
नाभि का टलना या खिसकना - नीबू काटकर बीज निकाल दें। इसमें भुना हुआ सुहागा (यह पंसारी के यहाँ मिलता है) एक चम्मच भरकर हलका सा गरम करके चूसें, टली हुई नाभि अपने स्थान पर आ जायगी।
दस्त लगने पर -
- एक कप ठंडे पानीमें चौथाई नीबू निचोड़कर स्वाद के अनुसार नमक, चीनी मिलाकर दो- दो घंटेमें पीने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- दस्त थोड़ा-थोड़ा, बार-बार हो तो एक चम्मच प्याज का रस, आधा नीबू का रस चौथाई कप ठंडे पानी में मिलाकर हर तीन घंटे में पिलायें।
- एमोबायसिस (आमातिसार) में नित्य दिन में तीन बार नीबू का पानी पीने से लाभ होता है। लगातार लेते रहने से आँत साफ होकर आँव आना बंद हो जाता है।
हैजा होने पर - नीबू, हैजे से भी बचाता है। जब हैजा फैल रहा हो, किसी को हैजा हो गया हो तो सम्पर्क में आने वाले लोग नीबू का अधिकाधिक सेवन करें। नीबू चूसें, नीबू का अचार खायें। भोजन के बाद नीबू का पानी पीयें। हैजा से बचाव होगा। हैजे के कीटाणु खट्टी चीजों के सेवन से नष्ट हो जाते हैं। हैजा होने पर चार चम्मच गुलाब जल, थोड़ा-सा नीबू और मिस्री मिलाकर हर दो घंटे में पिलायें। हैजे में लाभ होगा।
बवासीर (पाइल्स) होने पर - बवासीर में-रक्त आता हो तो नीबू की फॉक में सेंधा नमक भरकर चूसने से रक्त स्राव बंद हो जाता है।
पीलिया (जॉन्डिस) होने पर -
- पत्तों सहित मूली का रस एक कप में स्वादानुसार चीनी और नीबू का रस मिलाकर प्रात: भूखे पेट तथा रात को सोते समय दो बार प्रतिदिन पीने से पीलिया में लाभ होता है।
- प्याज के टुकड़े को नीबू के रस में डाल दें। स्वादानुसार नमक, काली मिर्च डाल दें। नित्य दो बार थोड़ा-थोड़ा यह खाने से पीलिया में लाभ होता है।
गर्भस्त्राव (एबॉर्शन) - नमकीन शिकंजी (नीबू नमक और पानी) में विटामिन 'ई' होता है। विटामिन 'ई' स्त्री को गर्भ धारण में सहायता करता है। गर्भ की रक्षा करता है, गर्भ स्राव रोकता है। सुबह-शाम नमकीन शिकंजी पीने से विटामिन 'ई' की पूर्ति हो जाती है। जिनको गर्भस्त्राव होता हो. वे नमकीन शिकंजी पीयें तथा रात को सोते समय पाव के नीचे तकिया रखें।
ज्यादा मोटापा होने पर - सुबह-शाम नीबू का पानी पीने से मोटापा घटता है।
उच्च रक्तचाप से बचने के लिये - प्रातः नीबू का पानी सदा पीते रहें।
हृदय रोग - और उच्च रक्तचाप के रोगी नित्य तीन बार नीबू का पानी पीते रहें आशातीत लाभ होगा।
ज्वर (बुखार) होने पर -
- ज्वर में प्यास अधिक लगती है, मुँह सूखता है, व्याकुलता बढ़ती है। लार बनाने वाली ग्रन्थियाँ लार बनाना बंद कर देती हैं। जिससे मुँह सूखने लगता है। अतः पानी में नीबू, नमक, काली मिर्च डालकर पीयें। नीबू में नमक, काली मिर्च भरकर भी चूस सकते हैं।
- मलेरिया में नीबू किसी भी रूप में अधिकाधिक सेवन करने से लाभ होता है। चाय में दूध के स्थान पर नीबू डालकर पीने से मलेरिया में लाभ होता है। भोजन करते समय हरी मिर्च पर नीबू निचोड़कर खायें। मलेरिया आने से पहले नीबू में नमक भरकर चूसें या नीबू की शिकंजी पीयें। फिटकरी भुनी हुई, काली मिर्च, सेंधा नमक- तीनों समान मात्रा में लेकर पीस लें। नीबू की एक
- फाँक पर यह चूर्ण चौथाई चम्मच भरकर गरम करके ज्वर आने के एक घंटे पहले आधा-आधा घंटे के अन्तर से चूसें। मलेरिया बुखार नहीं आयेगा। दो-तीन दिन यह प्रयोग करें।
जुकाम हो जाने पर -
- यदि जुकाम बार-बार लगता है। तो रात को सोते समय पग तलियों पर सरसों के तेल की मालिश करें। एक गिलास तेज गरम पानी में एक नीबू निचोड़कर एक महीने पीयें।
- जब जुकाम लग गयी हो तो एक साबूत नीबू को धोकर, एक गिलास पानी में उबाल लें। नीबू उबलने पर उसे निकालकर काट लें और इसी गरम पानी को एक गिलास में भरकर वही नीबू निचोड़ें। इसमें एक चम्मच अदरक का रस, दो चम्मच शहद मिलाकर पीयें। जुकाम ठीक हो जायगा ।
- दो चम्मच दाना मेथी एक गिलास पानी में उबालें। उबलते हुए आधा पानी शेष रहने पर पानी छानकर इसमें आधा नीबू निचोड़कर गरमागरम ही पीयें। उबली हुई मेथी भी खायें। ज्वर, फ्लू, सर्दी, श्वास, विवरप्रदाह (साइनोसाइटिस) - में लाभ होगा। यह पेय दो बार नित्य, जब तक ज़ुकाम ठीक नहीं हो। जाय, पीते रहें
दमा (अस्थमा) मैं - एक कप तेज गरम पानी, आधे नीबू का रस, एक चम्मच अदरक का रस, दो चम्मच शहद - सब मिलाकर नित्य सुबह-शाम पीते रहें। दमा, हृदय-रोग, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर)- में लाभ होगा।
खाँसी आने पर -
- आधे नीबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तेज खाँसी, श्वास, जुकाम में लाभ होता है।
- नीबू में चीनी, काला नमक, काली मिर्च भरकर गरम करके चूसने से लाभ होता है। खाँसी का तेज दौरा ठीक हो जाता है।
- पुदीने के 30 पत्ते, आठ काली मिर्च पिसी हुई, एक गिलास पानी स्वाद के अनुसार नमक मिलाकर उबालें। उबलते हुए आधा पानी शेष रहने पर छानकर उसमें आधा नीबू निचोड़कर सुबह-शाम दोबार पीयें। खाँसी तथा ज्वर (फीवर) - में लाभ होगा।
- एक नीबू को पानी में उबालकर एक कप में निचोड़कर दो चम्मच शहद डालकर मिला लें। इस प्रकार तैयार करके ऐसी दो मात्रा सुबह-शाम लें, खाँसी में लाभ होगा। सीने में जमा हुआ बलगम पिघलकर बाहर आ जाता है।
अनिद्रा में लाभ - सोते समय नीबू, शहद, पानी का एक गिलास पीने से नींद गहरी आती है।
सिर का दर्द -
- नीबू के छिलके पीस कर सिर पर लेप करने से सिर दर्द में लाभ होता है।
- अदरक का रस आधा चम्मच, नीबू का रस आधा चम्मच, सेंधा नमक चौथाई चम्मच मिलाकर हलका-सा गरम करके इसे सूँघें। इससे छींकें आकर कफ, पानी निकलता है और सिर-दर्द ठीक हो जाता है। यह सर्दी लगने से हुआ सिर दर्द, आधे सिर का दर्द (विवर-प्रदाह ,साइनोसाइटिस) में अधिक लाभकारी है जिस ओर सिर-दर्द हो उसके विपरीत नथुने में (अर्थात् बायीं ओर सिर-दर्द हो तो दायें नथुने में) तीन बूँद नीबू का रस डालने से आधे सिर का दर्द (हेमीक्रेनिया) जो सूर्य के साथ घटता-बढ़ता है तथा साथ ही अन्य सिर-दर्द भी ठीक हो जाते हैं।
- नीबू की फाँक गरम करके सिर-दर्द पर रगड़ें, एक बार रगड़ने के पंद्रह मिनट बाद रगड़ें। इस तरह लगाते रहनेसे सिर-दर्द शीघ्र ठीक हो जाता है। नीबू का रस रगड़ने के बाद सिर को हवा नहीं लगने दें। सिर ढक लें। नीबू के प्रयोगसे गरमी के कारण होने वाला सिर-दर्द शीघ्र ठीक होता है।
पानी के रोग - गंदा पानी पीने से यकृत्, टॉइफाइड, दस्त, पेट के रोग हो जाते हैं। यदि शुद्ध पानी नहीं मिले, नदी, तालाब का इकट्ठा किया हुआ पानी हो तो पानी में नीबू निचोड़कर पीयें। पानी में नीबू निचोड़कर पीने से पानी के रोग, गंदगी आदि से होने वाले रोगों से बचाव होता है। नीबू के छिलकों को रगड़ने से बदबू दूर हो जाती है।
सूखी त्वचा (ड्राई स्किन) –
- आधा कप दही में एक चम्मच पिसी हुई मुलतानी मिट्टी, आधा नीबू निचोड़कर मिलाकर चेहरे, हाथ, पैरों पर मलकर लेप में कर दें और आधे घंटे बाद धोयें। त्वचा का सूखापन दूर हो जायगा।
- सूखी त्वचापर हलदी और नीबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें तथा त्वचा पर लेप करके आधे घंटे बाद धोयें। त्वचा का सूखापन दूर हो जायगा।
तैलीय त्वचा (ऑयली स्किन) — चौथाई कप खीरे के रस में चार चम्मच बेसन, चार चम्मच दही, आधा नीबू निचोड़कर अच्छी तरह मिलाकर चेहरे तथा हाथ-पैरों पर मलकर लेप की तरह लगाकर आधे घंटे बाद धोकर साफ कर दें।
खुजली हो जाने पर - नहाने से पहले नीबू की फाँक में पिसी हुई फिटकरी भरकर खुजली वाली जगह पर रगड़ें। दस मिनट बाद स्नान करें। खुजली में लाभ होगा।"
नाखूनों के पास की त्वचा (नोघेरा) - नाखूनों के पास की त्वचा पकती हो तो नीबू के हरे पत्ते और नमक पीसकर लगायें। पंद्रह दिन लगाने पर आप देखेंगे कि नाखूनों की त्वचा पकनी बंद हो गयी है।
रक्तवर्धक -
- एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर इसमें 25 ग्राम किशमिश डाल दें। इसे रात को खुले स्थान पर रख दें। प्रातः भीगी हुई किशमिश खाते जायँ और यह पानी पीते जायें। इस प्रकार नीबू पानी में भिगी हुई किशमिश खानेसे रक्त बढ़ेगा। रक्त की कमी के रोगों में लाभ होगा।
- मूली काटकर अदरक के टुकड़े और नीबू डालकर खायें। इससे रक्त की कमी दूर होती है।
मुँहासे (पिम्पल्स, एक्नीज) -
- तिल पर नीबू निचोड़कर चटनी की तरह पीसकर चेहरे पर मलकर लेप कर दें। दो घंटे बाद धोयें। चेहरे की त्वचा मुलायम होकर मुँहा से ठीक हो जायेंगे।
- दालचीनी पीसकर पाउडर बना लें । चौथाई चम्मच पाउडर में कुछ बूँद नीबू के रसको डालकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगायें। एक घंटे के बाद धोयें। मुँहासे ठीक हो जायँगे।
- नीबू निचोड़ने के बाद जो छिलका बचता है, उसे इकट्ठा करके सुखा लें। सूखने पर पीस लें। इसकी दो चम्मच में एक चम्मच बेसन मिलाकर पानी डालकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर मलें। आधे घंटे बाद चेहरा धोयें। मुँहासे, झाइयाँ, धब्बे सब ठीक हो जायँगे।
शरीर-सौन्दर्यवर्धक –
- चार चम्मच आटा - जौ या चनेका, आठ चम्मच दूध, आधा चम्मच हलदी और दो नीबू का रस-सबको मिलाकर हाथ, मुँह, शरीरपर मलें। सूखनेपर रगड़कर बिना साबुन लगाये स्नान करें। इससे शरीर मुलायम एवं सुन्दर होगा।
- हल्दी और मसूर की दाल समान मात्रा में एक कप, इसमें एक नीबू का रस और पानी डालकर रात को भिगो दें। प्रातः पीस कर चेहरे, हाथ एवं गले पर मलकर पंद्रह मिनट बाद स्नान करें। शरीर में रूप- लावण्य झलकने निखरने लगेगा।
- चार चम्मच खीरे का रस, आधा नीबू, चौथाई चम्मच हल्दी मिलाकर चेहरे, गर्दन, हाथों एवं बाँहों पर लगायें। आधे घंटे बाद धोयें। इससे शरीर का श्याम रंग साफ होकर गोरापन आ जाता है। यह प्रयोग एक महीना करें।
- समान मात्रा में नीबू का रस और कच्चा दूध तथा चनेका बेसन मिलाकर चेहरे, गर्दन तथा त्वचा पर जहाँ सुन्दरता बढ़ानी हो, नित्य लगाते रहें। सूखने पर रगड़-रगड़कर धोयें रंग गोरा होगा। रूप-रंग निखरेगा, सुन्दरता बढ़ेगी।
- दूध में चार चम्मच चने की दाल रात को भिगो दें। प्रातः दाल पीस लें। इसमें चौथाई नीबू का रस, चौथाई चम्मच हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाकर आधे घंटे बाद या सूखने पर धोयें। यह प्रयोग एक महीना तक,तीन दिन में एक बार करें। चेहरा आकर्षक बन जायगा ।
- नीबू और नारंगी के छिलके सुखाकर, मिलाकर पीस लें। चार चम्मच दूध में इसका पेस्ट बनाकर चेहरे पर मलें। पंद्रह मिनट बाद धोयें। त्वचा सुन्दर हो जायगी।
- रात को सोते समय चेहरे पर नीबू रगड़कर सोयें। प्रातः धोयें। चेहरे के धब्बे साफ हो जायँगे।
- हल्दी पर नीबू निचोड़कर पीस लें तथा चेहरे पर लगाकर एक घंटे बाद धोने से चेहरे के दाग, झाइयाँ दूर हो जाती हैं।
- नीबू निचोड़ी हुई फाँक से होठों को रगड़ें। होठों का कालापन दूर हो जायगा ।
नकसीर (एपिसटेक्सिस) –
- नीबू के रस की चार बूँद, जिस नथुने से रक्त आ रहा हो, उसमें डालने से तुरंत रक्त आना बंद हो जाता है।
- मूली पर नीबू निचोड़कर नित्य खाते रहने से बार-बार नकसीर आना बंद हो जाता है।
- आँवला, अंगूर, गन्ना, नीबू में से किसी एक के रस की चार बूँद नाक में डालने से नकसीर आना बंद हो है।
- पानी में मिस्री घोलकर तीन बूँद नाक में डालने से नाकवी से रक्त आना बंद हो जाता है।
दाँतों की मजबूती - शौचालय में जब तक मल- त्याग करें, दाँत भींचकर रखें, दाँत मजबूत रहेंगे हिलेंगे नहीं। प्रात: भूखे पेट फीका नीबू चूसें। नीबू चूसने के एक घंटे बाद तक कुछ भी न खायें। दाँत मजबूत रहेंगे और दाँत-दर्द में भी लाभ होता है ।
दाँतों, मसूढ़ों से रक्त बहना - दांतों से रक्त बह हो तो नीबू की फाँक निचोड़कर आधा रस निकालकर, इस फाँक से दाँत और मसूढ़े रगड़ें। मसूढ़ों से रक्तस्राव बंद हो जायगा। मसूढ़े ढीले पड़ गये हों तो नीबू की मीठी शिकंजी दो बार, एक महीना पीयें।
दाँतों की सफाई एवं दाँतों का पीलापन दूर करे -
- नीबू की आधी निचोड़ी फाँक पर चार बूँद सरसों का तेल, जरासा नमक डाल कर दाँतों को रगड़े। दाँतों का पीलापन दूर होकर दाँत साफ हो जायँगे।
- नीबू के छिलके सुखाकर पीस लें। इसमें थोड़ा-सा खाने का सोडा और नमक मिलाकर मंजन करें। दाँत चमकने लगेंगे, साफ रहेंगे। दाँतों के सामान्य रोग ठीक हो जायँगे।
- नीबू के रसमें ब्रश डुबोकर मंजन करने से दाँत चमकने लगते हैं। दाँतों को नीबू के रससे रगड़ें।
धूम्रपान की आदत छूटाने के लिए - नीबू चूसें, नीबू पानी पीयें। जीभ पर बार-बार नीबू के रस की पाँच बूँद डालें और स्वाद खट्टा बनाये रखें। धूम्रपान, बीड़ी, सिगरेट, जर्दा एवं तम्बाकू खाने की आदत छूट जायगी।
लू (सनस्ट्रॉक) लगना - प्रतिदिन प्याज खायें, नीबू की नमकीन शिकंजी पीयें इससे लूसे बचाव होगा।
पाँवों में पसीना - गर्म पानी के दो गिलास में एक नीबू का रस मिलाकर पग तलियों का सेंक करें, फिर इसी पानी से पगतलियाँ धोयें।
चक्कर आना - प्रातः नीबू की मीठी शिकंजी पीने से उठते-बैठते समय आने वाले चक्कर ठीक हो जाते हैं।
शक्तिवर्धक-तीन छुहारे (गुठली निकालकर) टुकड़े कर लें। एक गिलास पानी में ये छुहारे, 15 किशमिश, एक नीबू का रस डालकर रात को खुले में छतपर रख दें। प्रातः मंजन करके पानी पी जायें तथा छुहारे, किशमिश खा जायें। लगातार चार महीने तक करें। चेहरा चमकने लगेगा।
तिल्ली (स्पिलिन ) – तिल्ली बढ़ने पर पेट बढ़ जाता है, तेज चलने पर साँस फूलती है, मलेरिया हो जाता है। दो चम्मच प्याज के रस में आधा नीबू निचोड़कर, दो चम्मच पानी मिलाकर सुबह-शाम पीयें। नीबू का अचार भी खिलायें
हकलाना या तुतलाना - गर्म पानी में नीबू निचोड़कर सुबह-शाम कुल्ले करें। दस पिसी हुई काली मिर्च, एक चम्मच शुद्ध देशी घी में मिलाकर प्रतिदिन दो बार चाटें ।
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