अडूसा (वासा) के औषधीय गुण or इसके चमत्कार और फायदे
अडूसा (वासा) के औषधीय गुण or इसके चमत्कार और फायदे
क्या आप अडूसा के बारे में जानते हैं अगर नहीं जानते हैं तो हम आपको बताते हैं कि अडूसा का उपयोग कैसे होता है कैसा दिखता है और कहां पाया जाता है हर प्रश्न जवाब हम आपको इस लेख में देंगे अडूसा के औषधीय गुण भी बताएंगे
अडूसा के वृक्ष की महत्वपूर्ण जानकारी:-
जिसे( वासा) के नाम से भी जाना जाता है अडूसा भारत के लगभग हर क्षेत्र में पाया जाता है। वासा को क्षय तथा कासनाशक माना है। आयुर्वेद में बताया है कि - क्षय में इसके पञ्चाङ्ग तथा पुष्पों के काढ़े से सिद्ध किया जाता है इसके घृत- शहद में मिलाकर (दुगुनी मात्रा में) सेवन करने से यह प्रबल वेग युक्त कास तथा श्वास को तुरंत नष्ट करता है ।
आचार्य चरक भी कहते हैं-'खाँसी के साथ कफ तथा रक्त हो तो वासा अकेली ही इस बीमारी को खत्म कर देती है
कई वैद्य का यह भी मत है कि इसके ताजे सुखाये गये पत्तियों के चूर्ण को देने पर श्वास नली के शोथ (एक्यूट ब्रोंकाइटिस) - से ग्रस्त रोगियों को तुरंत आराम मिला है। वे रोग मुक्त हो गये तथा उनकी जीवनी - शक्ति में अत्यधिक वृद्धि पायी गयी।
Ans- खांसी और क्षय-रोग , स्वास रोगी ,अनीमिया और कफ बलगम और भी अन्य कई प्रकार की बीमारी को दूर करता है
Q - अडूसा को हिंदी मे क्या बोलते है
Ans - वासा अडूसा, अडुस्, अरुस, बाकस, बिर्सोटा, रूसा, अरुशा;
Q - अडूसा के पत्ते कैसे होते है
Ans - अडूसा का पौधा झाड़ीदार होता है। इसके पत्ते सफेद रंग के होते हैं। इसकी मंजरियाँ फरवरी से मार्च में आती हैं। इसकी फली 18-22 मिमी लम्बी, 8 मिमी चौड़ी, रोम वाली होती है तथा प्रत्येक फली में चार बीज होते हैं
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अडूसा |
आचार्य चरक भी कहते हैं-'खाँसी के साथ कफ तथा रक्त हो तो वासा अकेली ही इस बीमारी को खत्म कर देती है
कई वैद्य का यह भी मत है कि इसके ताजे सुखाये गये पत्तियों के चूर्ण को देने पर श्वास नली के शोथ (एक्यूट ब्रोंकाइटिस) - से ग्रस्त रोगियों को तुरंत आराम मिला है। वे रोग मुक्त हो गये तथा उनकी जीवनी - शक्ति में अत्यधिक वृद्धि पायी गयी।
अडूसा (वासा) कुछ उपयोग इस तरह से हैं-
- खाँसी के लिये अडूसा के पत्तों का रस 10 ग्राम, शहद (5 ग्राम) के साथ मिलाकर प्रातः- सायं सेवन करना चाहिये। ताजे पत्र न मिलने की स्थिति में छाया में सुखाये गये फूलों का चूर्ण मधु के साथ देना चाहिये ।
- बच्चों की काली खाँसी जिसे कुकुर-खाँसी भी कहते हैं, वासा की जड़ का काढ़ा डेढ़-दो चम्मच दिन में दो से तीन बार तक दिया जाय तो निश्चित ही लाभ होता है ।
- वासा का मूल लेकर उसका शर्बत बनाकर विधि पूर्वक उसे प्रयोग में लाया जाय तो पुरानी से पुरानी खाँसी और क्षय-रोग तक नष्ट हो जाते हैं।
- अडूसा के फूलों को दुगुनी मात्रा में मिस्री मिलाकर मिट्टी या काँच के पात्र में रखने पर गुलकन्द तैयार होता है और इसके 10 ग्राम मात्रा तक नित्य सेवन से कास-श्वास, पीनस (पुराना जुकाम), रक्त-पित्त, राजयक्ष्मा के रोगियों को अवश्य ही लाभ पहुँचता है
- यह ज्वरनाशक तथा रक्तशोधक भी है। इसके अतिरिक्त यह रक्तस्राव रोकने वाला है।
- इसका प्रयोग सारे शरीर में धातु-निर्माण-क्रिया को बढ़ाने के लिये कमजोरी को दूर करने में के बाद टॉनिक के रूप में भी होता है ।
प्रश्न - उत्तर
Q - अडूसा क्या काम आता हैAns- खांसी और क्षय-रोग , स्वास रोगी ,अनीमिया और कफ बलगम और भी अन्य कई प्रकार की बीमारी को दूर करता है
Q - अडूसा को हिंदी मे क्या बोलते है
Ans - वासा अडूसा, अडुस्, अरुस, बाकस, बिर्सोटा, रूसा, अरुशा;
Q - अडूसा के पत्ते कैसे होते है
Ans - अडूसा का पौधा झाड़ीदार होता है। इसके पत्ते सफेद रंग के होते हैं। इसकी मंजरियाँ फरवरी से मार्च में आती हैं। इसकी फली 18-22 मिमी लम्बी, 8 मिमी चौड़ी, रोम वाली होती है तथा प्रत्येक फली में चार बीज होते हैं
Q - अडूसा कहां पाया जाता है
Ans - अडूसा भारत के लगभग हर क्षेत्र में कंकरीली जमीन झाड़ियों में पाया जाता है।
Ans - अडूसा भारत के लगभग हर क्षेत्र में कंकरीली जमीन झाड़ियों में पाया जाता है।
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