काजू खाने के अनेक फायदे
काजू खाने के फायदे(Benefits of eating cashew nuts):-
काजू के बारे जितना जानेंगे उतना ही कम है काजू खाने के अनेक फायदे हैं
काजू का मूल उत्पत्ति स्थान अमेरिका का उष्ण कटिबन्ध है। यह भारतवर्ष में भी सामुद्रिक किनारों पर बहुतायत से पैदा होता है। इसका वृक्ष छोटे कद का होता है। इसकी शाखाएँ मुलायम रहती हैं। इसके पत्ते खिरनी या कटहल के पत्तों की भाँति होते हैं। इसमें एक प्रकार का गोंद भी लगता है जो पीला या कुछ लालिमा लिये हुए रहता है। इसके फल मेवे के रूप में सारे देश में बिकते हैं।
यह मेवा गरम और तर होता है। यह शरीर को मोटा करता है, दिल को शक्ति देता है। वीर्य को बढ़ाता है, गुर्दे को ताकत देता है और दिमाग के लिये मुफीद है। अगर इसको बासी मुँह खाकर थोड़ी-सी शहद चाट ले तो दिमाग की कमजोरी मिट जाती है, सर्द और तर मिजाज वालों के लिये यह भिलावे के समान लाभदायक है।
उपयोगिता - काजू का फल कसैला, मीठा और गरम होता है। वात, कफ, अर्बुद, जलोदर, ज्वर, व्रण, धवल-रोग और अन्य चर्मरोगों को यह दूर करता है। यह कृमिनाशक होता है। पेचिश, बवासीर और भूख की कमजोरी में लाभदायक है। इसके छिलके में धातु परिवर्तक गुण रहते हैं, इसकी जड़ विरेचक मानी जाती है। इसका फल रक्तातिसार को दूर करनेवाला होता है। इसके छिलके और पत्ती दाँतों की पीडा और मसूड़ों की सूजन में सेवनीय हैं। इसका फल कोढ़ और व्रणपर लगाया जाता है । यह प्रदाह को मिटाने वाला है। इसमें कारडोल और एनाकार्डिक एसिड नामके तत्त्व पाये जाते हैं।
काजू का मगज पौष्टिक, शान्तिदायक और स्निग्ध वस्तु है। यह वमन रोग से पीडित रोगियों को खाद्य के रूप में दिया जाता है। इसके साथ 'एसिड हाइड्रोसिएनिक्स' भी दिया जाता है। काजू का तेल विष-प्रतिरोधक भी होता है ।
काजू का मूल उत्पत्ति स्थान अमेरिका का उष्ण कटिबन्ध है। यह भारतवर्ष में भी सामुद्रिक किनारों पर बहुतायत से पैदा होता है। इसका वृक्ष छोटे कद का होता है। इसकी शाखाएँ मुलायम रहती हैं। इसके पत्ते खिरनी या कटहल के पत्तों की भाँति होते हैं। इसमें एक प्रकार का गोंद भी लगता है जो पीला या कुछ लालिमा लिये हुए रहता है। इसके फल मेवे के रूप में सारे देश में बिकते हैं।
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काजू |
यह मेवा गरम और तर होता है। यह शरीर को मोटा करता है, दिल को शक्ति देता है। वीर्य को बढ़ाता है, गुर्दे को ताकत देता है और दिमाग के लिये मुफीद है। अगर इसको बासी मुँह खाकर थोड़ी-सी शहद चाट ले तो दिमाग की कमजोरी मिट जाती है, सर्द और तर मिजाज वालों के लिये यह भिलावे के समान लाभदायक है।
उपयोगिता - काजू का फल कसैला, मीठा और गरम होता है। वात, कफ, अर्बुद, जलोदर, ज्वर, व्रण, धवल-रोग और अन्य चर्मरोगों को यह दूर करता है। यह कृमिनाशक होता है। पेचिश, बवासीर और भूख की कमजोरी में लाभदायक है। इसके छिलके में धातु परिवर्तक गुण रहते हैं, इसकी जड़ विरेचक मानी जाती है। इसका फल रक्तातिसार को दूर करनेवाला होता है। इसके छिलके और पत्ती दाँतों की पीडा और मसूड़ों की सूजन में सेवनीय हैं। इसका फल कोढ़ और व्रणपर लगाया जाता है । यह प्रदाह को मिटाने वाला है। इसमें कारडोल और एनाकार्डिक एसिड नामके तत्त्व पाये जाते हैं।
काजू का मगज पौष्टिक, शान्तिदायक और स्निग्ध वस्तु है। यह वमन रोग से पीडित रोगियों को खाद्य के रूप में दिया जाता है। इसके साथ 'एसिड हाइड्रोसिएनिक्स' भी दिया जाता है। काजू का तेल विष-प्रतिरोधक भी होता है ।
यह पेट और आँतों के ऊपर जमकर विषजनित प्रदाह से रक्षा ही नहीं करता, बल्कि उसकी तेजी को नष्ट कर देता है। यह कई प्रकार के लेप और बाह्य प्रयोगों के लिये उत्तम वस्तु है ।
काजू के सेवन से ठीक होने वाले रोग(Diseases that can be cured by consuming cashew nuts):-
- शरीर के मस्से- शरीर पर छोटे-छोटे काले मस्से हो जाते हैं, उनको जलाने के लिये छिलके का तेल लगाया जाता है
- उपदंश - उपदंश से पैदा हुए फोड़ों या लाल चकत्तोंको मिटानेके लिये इसका तेल सेवन करने योग्य है।
- त्वचा की शून्यता- कोढ़ से उत्पन्न त्वचाकी
- शून्यता भी इस तेल के लगाने से मिटती है।
- बिवाई-इसके छिलके का तेल लगाने से पैरों के अंदर फटी हुई बिवाई मिट जाती है।
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