अंजीर खाने के फायदे




अंजीर खाने के फायदे  - अंजीर खाने के 10 लाभ


अंजीर दो प्रकार का होता है। एक बोया हुआ, जिसके फल और पत्ते बड़े होते हैं और दूसरा जंगली, जिसके फल और पत्ते इससे छोटे होते हैं।
यह वृक्ष 7 से 8 फुट तक ऊँचा होता है। तोड़ने से या चिरा देने से इसके हर एक अंग से दूध निकलता है। इसके पत्ते ऊपर की ओर से अधिक खुरदरे होते हैं और फल का आकार प्रायः गूलर के फल के समान होता है। 
कच्चे फल का रंग हरा और पके हुए का रंग पीला या बैगनी और अंदर से बहुत लाल होता है। यह फल बड़ा मीठा और स्वादिष्ठ होता है ।

अंजीर अत्यन्त शीतल, तत्काल रक्त पित्तनाशक, सिर और खून की बीमारीमें तथा कुष्ठ और नकसीर में लाभकारी है।

उपयोगिता – 

अंजीर
अंजीर

(1) रुधिर का जमाव - अंजीर की लकड़ी की राख को पानी के अंदर घोलकर राख के नीचे बैठ जाने के बाद उसका निथरा हुआ पानी निकालकर उसमें फिर वही राख घोल देना चाहिये, ऐसा सात बार करके राख घोल-घोलकर निथरा हुआ पानी पिलाने से रुधिरका जमाव बिखर जाता है। 
(2) श्वास-अंजीर और गोरख इमली का चूर्ण समान भाग में लेकर प्रातः काल 6 माशे की खुराक में खाने से दमे के रोग में लाभ होता है।
(3) बवासीर - दो सूखे अंजीर को शाम को पानी में भिगोना और सबेरे उसे खा लेना चाहिये। इसी प्रकार सबेरे के भिगोये हुए अंजीर संध्याको खा लेना चाहिये। इस भाँति 6 या 7 रोज तक खाने से खूनी बवासीर के अंदर बहुत लाभ होता है ।
(4) श्वेत कुष्ठ- सफेद कोढ़ के आरम्भ में ही अंजीर के पत्तों का रस लगाने से उसका बढ़ना बंद होकर आराम होने लगता है।
(5) गाँठ और फोड़े - सूखे या हरे अंजीर को पीसकर तथा जल में औटाकर गुनगुना लेप करने से गाँठों तथा फोड़ों की सूजन कम हो जाती है
(6) पौरुष शक्तिवर्धक — दो सेर सूखे अंजीर लेकर गरम पानी से दो या तीन बार धोकर उसके छोटे- छोटे टुकड़े कर लेना चहिये, फिर बादाम की मगज एक सेर लेकर ऊपर का छिलका उतार कर उसके भी बारीक टुकड़े कर लेने के बाद एक कलईदार कड़ाही में अंजीर और बादाम की मगज के टुकड़े डालकर उसमें चार सेर शक्कर तथा इलायची- 2.5 तोला, केशर - 1 तोला, चिरौंजी- 10 तोला, पिस्ते 10 तोला, सफेद मुसली-4 तोला, अभ्रक भस्म - 1.5  तोला, प्रवाल भस्म - 2.5 तोला, मुगलाई बेदाना- 2 तोला, शीतल चीनी- 1.5 तोला , इन सब चीजों को कूट करके थोड़ी देर तक उसे  अग्नि पर चढ़ा दे, जब घी अच्छी तरह से पिघल जाय और वे सभी चीजें मिल जायँ तब उसे उतार कर चीनी की बर्निया में भर देना चाहिये। इस औषधि को त्वचा की गर्मी, पित्तविकार, रक्तविकार, क़ब्जियत, अपनी प्रकृति के अनुसार दोनों समय खाने से लाभ होता है। 

अंजीर की जड़ पौष्टिक है तथा श्वेत कुष्ठ और दाद पर उपयोगी है। इसका फल मीठा, ज्वरनाशक, रेचक, विषनाशक, सूजन में लाभदायक, अश्मरी को दूर करनेवाला और कमजोरी, लकवा, प्यास, यकृत् तथा तिल्लीकी बीमारी और सीने के दर्द को दूर करता है । कच्चा अंजीर कान्तिकारी और सूखा अंजीर शीतोत्पादक है । जल के अंश की कमी के कारण यह पहले दर्जे का गर्म है। इससे पतला खून उत्पन्न होता है। यह पसीना लाने वाला और गर्मी को शान्त करने वाला होता है ।
भूने हुए अंजीर का पोटली सांघातिक फोड़े, बालतोड़ तथा मसूड़े के ऊपर के फोड़े पर बाँधा जाता है । सूखे हुए अंजीर का पोटली दूध के साथ में पीपदार जख्म और नासूर की दुर्गन्ध को दूर करनेके काम में लिया जाता है ।
 बड़े सबेरे खाली पेट इसको खाने से अन्नप्रणाली को यह बहुत लाभ दिखाता है। अंजीर बादाम और पिस्ते के साथ खाने से बुद्धिवर्धक, अखरोट के साथ खाने से उत्तेजक तथा बादाम के साथ खाने से विष को दूर करने का काम करता है।
अंजीर पुरानी खाँसी में लाभ पहुँचाता है; क्योंकि यह खाँसी केवल बलगम से ही पैदा होती है। इसका दूध तीक्ष्णता के कारण रेचक है ।
रोजाना के रूप में अंजीर बहुत शीघ्र पच जाने वाला और औषधिरूप में उपयोग करने पर किडनी एवं वस्ति सम्बन्धी पथरियों को तथा यकृत् और प्लीहा के रोगों को दूर करने वाला है। गठिया और बवासीर में यह लाभकारी है ।
 ताजे अंजीर का रस मूत्रल है । अतः इस से मूत्र सम्बन्धी शिकायतें दूर हो जाती हैं। यह यकृत्, जठर और आँतों को कार्यक्षम रखता है । कब्ज थकान और कमजोरी दूर करता है । कफ और सूखी खाँसी में विशेष लाभ पहुँचाता है ।

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