अमरूद और अमरूद के पेड़ के सारे राज और ठीक होने वाली बीमारी

अमरूद का पौधा,अमरूद का फल और अमरूद के पत्ते खाने के 13 फायदे

अमरूद या जामफल एक सस्ता और गुणकारी फल है, जो प्रायः सारे भारत में पाया जाता है । संस्कृत में इसे 'अमृतफल' भी कहा जाता है।

अमरूद
अमरूद

आयुर्वेद के मतानुसार 

पका हुआ अमरूद स्वाद में खट्टा-मीठा, कसैला, गुण में ठंडा, पचने में भारी, कफ तथा वीर्यवर्धक, रुचिकारक, पित्तदोषनाशक, वातदोषनाशक एवं हृदय के लिये हितकर है। 

अमरूद के फल को सलाद के रूप में भी उपयोग करते है इसके साथ अगर खीरा,मूली ,ककड़ी प्याज गाजर नीबू मिर्च आदि का उपयोग करते है तो मनुष्य अपने जीवन में कभी भी बीमार नहीं पड़ेगा 

अमरूद या जामफल एक सस्ता और गुणकारी फल है, जो प्रायः सारे भारत में पाया जाता है । संस्कृत में इसे 'अमृतफल' भी कहा जाता है।

अमरूद पागलपन ,मूर्च्छा, कृमि, तृषा, शोष, श्रम, विषम ज्वर (मलेरिया) तथा जलनाशक है। यह शक्तिदायक, सत्त्वगुणी एवं बुद्धिवर्धक है। भोजन के एक-दो घंटे के बाद इसे खाने से कब्ज, अफरा आदि की शिकायतें दूर होती हैं। सुबह खाली पेट अमरूद खाना भी लाभदायक है।  

विशेषता  - अमरूद खाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिये कि इसके बीज ठीक से चबाये बिना पेट में न जायँ। 

जामफल (अमरूद)-को या तो खूब अच्छी तरह चबाकर निगले या फिर इसके बीज अलग करके केवल गूदा ही खाये। इसका साबूत बीज आन्त्रपुच्छ (अपेंडिक्स) में चला जाय तो फिर बाहर नहीं निकल पाता, जिससे प्रायः 'अपेंडिसाइटिस' होने की सम्भावना होती है।

खाने के लिये पके हुए जामफल का ही प्रयोग करे। कच्चे जामफल का उपयोग सब्जी के रूप में किया जा सकता है। दूध एवं जामफल खाने के बीच दो-तीन घंटों का अन्तर अवश्य रखे। होने पर एक

अमरूद (जामफल ) - का औषधी के रूप में प्रयोग 

(1) सर्दी-जुकाम - जुकाम जामफल का गूदा बिना बीज के खाकर एक गिलास पानी पी ले। दिन में ऐसा दो-तीन बार करे । पानी पीते समय नाक से साँस न ले और न छोड़े । नाक बंद करके पानी पिये और मुँह से ही साँस बाहर फेंके। इससे नाक बहने लगेगा । नाक बहना शुरू होते ही जामफल खाना बंद कर दे। एक-दो दिन में जुकाम खूब झड़ जाय तब रात को सोते समय पचास ग्राम गुड़ खाकर बिना पानी पिये सिर्फ कुल्ला करके सो जाय जुकाम ठीक हो जायगा

(2) खाँसी - एक पूरा जामफल आग की गरम राख में दबाकर सेंक ले । दो-तीन दिन तक - प्रतिदिन इस प्रकार एक जामफल खाने से कफ ढीला होकर निकल जाता है और खाँसी में आराम हो जाता है। 

(3) जामफल के पत्ते - को पानी से धोकर साफ कर ले और फिर पानी में उबाले। जब उबलने लगे, तब उसमें शक्कर डाल दे, फिर उसे छान ले। इसको पीने से खाँसी में आराम मिलता है। इसके बीजों को 'बहीदाना' कहते हैं । इन बीजों को सुखाकर पीस ले और थोड़ी मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम चाटे । इससे खाँसी ठीक हो जायगी। इस दौरान तेल एवं खटा का सेवन नहीं करना चाहिए 

(4) सूखी खाँसी - इसमें पके हुए जामफल को खूब चबा-चबाकर खाने से लाभ होता है ।

(5) कब्ज - पर्याप्त मात्रा में जामफल खाने से मल सूखा और कठोर नहीं हो पाता और सरलतापूर्वक शौच हो जाने से कब्ज नहीं रहता। जामफल काटने के बाद उस पर सोंठ, काली मिर्च और सेंधा नमक भुरक  लें इससे खाने का स्वाद बढ़ता है और पेट का अफरा, गैस तथा अपच दूर होता है। इसे सुबह निराहार (खाली पेट) खाना चाहिये या भोजन के साथ खाना चाहिये ।

(6) मुख के रोग  - इसके कोमल हरे ताजे पत्ते चबाने से मुँह के छाले नरम पड़ते हैं। मसूढ़े तथा दाँत मजबूत होते हैं, मुँह की दुर्गन्ध का नाश होता है। पत्ते चबाने के बाद इसका रस थोड़ी देर मुँह में रखकर इधर-उधर घुमाते रहें, फिर थूक दें। पत्तों को उबालकर इसके पानी से कुल्ला और गरारा करने पर दाँत का दर्द दूर होता है एवं मसूढ़ों की सूजन तथा पीडा नष्ट होती है ।

(7) शिशु-सम्बन्धी रोग - जामफल के पत्तों को पीसकर उनकी लुगदी बनाकर बच्चों की गुदा के मुखपर रखकर बाँधने से उनका गुदभ्रंश यानी काँच निकलने का रोग ठीक होता है। बच्चों को पतले दस्त बार-बार लगते हों तो इसके कोमल तथा ताजे पत्तों एवं जड़की छाल को उबालकर काढ़ा बना ले और दो-दो चम्मच सुबह-शाम पिलाये । इससे पुराना कब्ज भी ठीक हो जाता है। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पिलाने से उल्टी तथा दस्त होना बंद हो जाता है ।

(8) सूर्यावर्त - सुबह सूर्योदय से सिर दर्द शुरू होजाता हो या दोपहर में तीव्र पीडा हो एवं सूर्यास्त हो तब सिरदर्द मिट जाय - इस रोग को सूर्यावर्त कहते हैं । इस रोग में रोज सुबह पके हुए जामफल खाने एवं कच्चे जामफल को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर ललाट पर लेप करने से लाभ होता है ।

(9) दाह या जलन होने पर- पके हुए जामफल पर मिस्री भुरक कर रोज सुबह एवं दोपहर में खाने से जलन कम होती है। यह प्रयोग वायु अथवा पित्तदोष से उत्पन्न शारीरिक दुर्बलता में भी लाभदायक है।

(10) पागलपन एवं मानसिक उत्तेजना –मानसिक उत्तेजना, अतिक्रोध, पागलपन के रोग में भिगोये हुए तीन-चार पके जामफल सुबह खाली पेट खाना लाभदायक है। दोपहर के समय भी भोजन के एक घंटे बाद जामफल खाये इससे मस्तिष्क की उत्तेजना का शमन होता है एवं मानसिक शान्ति मिलती है।

(11) स्वप्नदोष– कब्जियत अथवा शरीर की गर्मी के कारण होने वाले रोग स्वप्नदोष में सुबह और दोपहर जामफल का सेवन करना लाभप्रद है 

(12) खूनी दस्त (रक्तातिसार) – जामफल के मुरब्बा का, पके हुए या कच्चे जामफल की सब्जी का सेवन खूनी दस्त में लाभप्रद होता है।

(13) मलेरिया ज्वर — तीसरे अथवा चौथे दिन आनेवाले विषम ज्वर (मलेरिया) - में प्रतिदिन नियम से सीमित मात्रा में जामफल का सेवन लाभदायक है

नुकसान

  • विशेष – अधिक अमरूद खाने से वायु, दस्त एवं ज्वरकी उत्पत्ति होती है
  • अत्यधिक अमरूद खाने से मन्दाग्नि एवं सर्दी भी हो जाती है।
  • जिनकी पाचनशक्ति कमजोर हो, उन्हें अमरूद कम खाना चाहिये।

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