पीपल के वृक्ष के फायदे , लाभ और प्रयोग विधि
पीपल का वृक्ष और उससे आरोग्य की प्राप्ति
भारतीय संस्कृति में बहुत से ऐसे वृक्ष है जो पूजनीय माने जाते हैं और उनकी पूजा बड़ी श्रद्धा भाव से की जाती है इन वृक्ष कुछ तो संसार प्रसिद्ध एवं व्यक्तियों द्वारा पूजित है कुछ की पूजा गौण रूप से होती है और कुछ केवल पवित्र माने जाते हैं
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पीपल का पेड़ |
पीपल का महत्व
पीपल, आम, बरगद, आंवला, सिरस, गुलर, नीम, बेल पत्र, बांस, देवदारू, और चंदन और तुलसी आदि के वृक्ष पवित्र माने जाते हैं इनमें पीपल सबसे अधिक पवित्र माना जाता है और इसकी सर्वाधिक पूजा होती है इसकी जड़ से लेकर पत्ते तक में देवताओं का वास माना जाता है यहां ब्रह्मा विष्णु महेश का एकीभूति रूप समझा जाता है
पीपल औषधि के काम में भी आता है फोड़े फुंसी तो इसकी छाल से ही अच्छे हो जाते हैं पत्तियों से भी बड़े-बड़े घाव तेल के साथ प्रयोग करने पर ठीक हो जाते हैं इसकी सबसे बड़ी उपयोगिता तो उसे समय देखी जाती है जबकि पीपल की लकड़ी के द्वारा सर्प दांत से मरता हुआ व्यक्ति भी जीवन प्राप्त कर लेता है और देहात में प्राय लोग सर्प द्वारा काटे जाने पर व्यक्ति से पीपल की लकड़ी के सहारे ही बात करके सांप की आकर ,गोत्र ,डसने का स्थान कारण आदि सब जान लेते हैं और इसे पीपल "जडी" नाम से पुकारते हैं पीपल जड़ी की विधि है
पीपल के द्वारा सर्प विष को दूर करना
जब किसी व्यक्ति को सांप डस ले और विष सारे शरीर में प्रवेश कर गया हो और अन्य दवाइयां काम नहीं कर रही हो तब पीपल की लकड़ी चार-चार अंगुल की दो फूनगिया तोड़ लानी चाहिए उसके छिलके को छुड़ा देना चाहिए इस कार्य को गुप्त रूप से करना चाहिए ताकि दूसरे लोग जान ना पाए यह सब लोग इसे जड़ी ही समझे। उन्हें ले जाकर रोगी के दोनों कानों के पास बलपूर्वक पड़कर सताना चाहिए यदि कान में डालें तो यह भी उत्तम है किंतु ध्यान रहे कि रोगी के रोगी का शरीर में विष उसे जड़ी को अपनी ओर खींचना लगता है और जड़ी विष को अपनी ओर खींचने लगते हैं यदि जड़ी को बलपूर्वक नहीं पकड़ा जाएगा तो जड़ी दोनों ओर से विष द्वारा खींची जाने पर रोगी के चमड़ी में या कान में धसने लगेगी इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए और रोगी चिल्लाने लगेगा उसे समय रोगी से जो कुछ पूछा जाएगा वह बताने लगेगा और मंत्र के प्रयोग से विष दूर करते हैं किंतु उचित तो यह है कि जब रोगी चिल्लाने लगे तब वहां से लोगों को हटा देना चाहिए क्योंकि वह अपने पूर्व कृत कर्मों को बकने लगता है और जब जड़ी सब विश खींच लेती है तब उसका खिंचाव अपने आप ही रुक जाता है और पीपल जड़ी को सुखाकर भी रखा जा सकता है और समय-समय पर प्रयोग में लाया जा सकता है
पीपल के द्वारा कई रोगों का निवारण
पीपल का कोई भी भाग निरर्थक नहीं है वह अपनी विशालता के कारण महान ही नहीं बल्कि अनेक पशु पक्षियों का निवास स्थल भी है सिलसिलाती धूप और मूसलाधार बारिश से उत्पीड़नित मानव का वह विशेष आश्रम है इसकी शुद्ध हवा शीतल एवं रोग नाशक होती है पीपल की लकड़ी और पत्तियों के डंठल हरे पत्ते और सूखी पत्तियां सभी गुणकारी मानी जाती है और उनका उपयोग रोगों के निवारण हेतु किया जाता है यहां कुछ रोग दिए जाते हैं जिनमें पीपल अत्यंत लाभकारी माना जाता है
- रतौंधी रोग - यह रोग में बहुत से लोगों को रात में दिखाई नहीं देता और शाम होते ही आंखों के आगे अंधियारा फैल जाता है इसकी सहज औषधि है पीपल। पीपल की लकड़ी का टुकड़ा लेकर गोमूत्र के साथ उसे शीला पर पीसना चाहिए इसका अनजान दो-चार दिन आंखों में लगाने से रतौंधी में लाभ मिलता है
- मलेरिया बुखार - मलेरिया बुखार होने पर पीपल की टहनी की दातुन कई दिनों तक करने से तथा उसे चूसने से मलेरिया बुखार दूर हो जाता है
- सर्प विश या सांप काटने पर - यदि किसी व्यक्ति को सांप ने काट लिया हो तो सांप काटने की लेक्सीन जैसी अद्भुत दवा ईजाद हो चुकी है फिर भी पीपल के पत्ते का डंठल से कर विश्व का उपचार किया जाता है मरीज को चित लिटाकर पीपल की पट्टी का डंठल जो ताजा हो कानों में दिया जाता है जब उसके द्वारा विश्व के चूस जाने की क्रिया शुरू होती है तब मैरिज चीत्कार करने लगता है इसलिए उसके हाथ पांव को कसकर पकड़ कर रखना चाहिए जब तक रोगी को आराम ना हो जाए ।बिच्छू के विष का यह भी इलाज है
- कान दर्द या बहरापन - कान दर्द होने की स्थिति में पीपल की ताजी हरी पत्तियों को निचोड़ कर उसका रस कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है तथा कुछ समय तक इसके निर्मित सेवन से कान का बहरापन भी मिट जाता है
- खांसी और दमा - पीपल के सूखे पत्ते को खूब कूदना चाहिए जब पाउडर सा बन जाए तब उसे कपड़े से छान लेना चाहिए लगभग अठन्नी ग्राम चूर्ण में दो बार मधु मिलाकर एक महीना प्यासा चाटने से दम में स्पष्ट फायदा होता है और इससे खांसी भी सही हो जाती है
- धातु दौर्बल्य और बंध्यत्व - इस रोग के लिए पीपल वृक्ष के फल में अद्भुत गुण होता है फलों को सुख करके उसे काटकर तथा कपड़े से छान कर रखना चाहिए रोज पाव है दूध में 10 ग्राम चूर्ण मिलाकर पानी से पीने से वह रोग दूर हो जाता है और स्त्री का वन्ध्यापन भी इससे नष्ट हो जाता हैं
- प्रदर रोग और मासिक धर्म में गड़बड़ी - उपयुक्त विधि के साथ चूर्ण तैयार करके दूध के साथ नियमित रूप से स्त्रियां प्रसव के बाद सेवन करें तो बहुत लाभ होता है पुराना प्रदर रोग भी जड़ से मिट जाता है और मासिक धर्म का खुलासा न होना या समय पर ना होना भी दूर हो जाता है
- सर्दी और सिर दर्द होने पर - पीपल की केवल 24 कोमल पत्तियों को चूसने सर्दी का सिर दर्द मिनट में मिट जाता है और दो-तीन दिन शाम को ऐसा करने से सर्दी भी ठीक हो जाती है
पीपल में और भी गुण होते हैं इन्हीं गुणों के कारण पीपल का पेड़ वंदनीय माना जाता है
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