मेथी की भाजी का प्रयोग
मैंथी की भाजी कैसे खाऐ और मैंथी की भाजी का प्रयोग
आहार में हरी सब्जियों का विशेष महत्त्व है।आधुनिक विज्ञान के मतानुसार हरे पत्तों वाली सब्जियों में क्लोरोफिल नामक तत्त्व रहता है, जो कीटाणुओं का नाश करता है दाँत एवं मसूड़ों में सड़न उत्पन्न करने वाले जन्तुओं को यह 'क्लोरोफिल' नष्ट करता है। इसके अलावा इनमें प्रोटीन तत्त्व भी पाया जाता है । हरी सब्जियों में लौह तत्त्व भी काफी मात्रा में पाया जाता है, जो पाण्डुरोग (रक्ताल्पता) तथा शारीरिक कमजोरी को नष्ट करता है। हरी सब्जियों में स्थित क्षार रक्त की अम्लता को घटाकर उसका नियमन करता है।
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मैथी |
हरी सब्जियों में मैथी की भाजी का प्रयोग भारत के प्रायः सभी भागों में बहुलता से होता है। इसे सुखाकर भी उपयोग में लिया जाता है। इसके अलावा मेथी दानों का प्रयोग सब्जी बनाते समय तथा कई औषधियों के रूप में उपयोग किया जाता है।
वैसे तो मेथी प्रायः हर समय उगायी जा सकती है, फिर भी मार्ग शीर्ष से फाल्गुन महीने तक ज्यादा उगायी जाती है। कोमल पत्ते वाली मेथी कम कड़वी होती है। मेथी की भाजी तीखी, कड़वी, रूक्ष, गर्म, पित्तवर्धक,अग्निदीपक (भूखवर्धक), पचने में हल्की कब्ज की शिकायत दूर करने वाली, हृदय के लिये हितकर एवं शरीरीक बल को बढ़ता है।
सूखी मेथी के बीजों की अपेक्षा मेथी की भाजी कुछ ठंडी, पाचन कर्मी , वायु की गति ठीक रखने वाली तथा प्रसूता स्त्रियों, वायु दोष के रोगियों एवं कफ के रोगियों के लिये अत्यन्त हितकारी है। यह बुखार, अरुचि, उलटी, खाँसी, वातरोग (गाउट), वायु, कफ, बवासीर, कृमि तथा क्षय का नाश करनेवाली है।
मेथी पौष्टिक एवं रक्त को शुद्ध करनेवाली है । यह शूल, वायुगोला, सन्धिवात, कमर के दर्द, पूरे शरीर के दर्द, मधुप्रमेह एवं निम्न रक्तचाप को मिटाने वाली है। मेथी माता का दूध को बढ़ाती है। एवं शरीर को स्वस्थ बनाती है।
आयुर्वेद के अनुसार मैथी की भाजी का प्रयोग
(1) क़ब्जियत - कफ दोष से उत्पन्न कब्जियत में मेथी की रेशे वाली सब्जी रोज खाने से कफ के साथ कब्ज भी ठीक होता है।(2) बवासीर - प्रतिदिन मेथी की सब्जी का सेवन करने से वायु, कफ एवं बवासीर में लाभ होता है ।
(3) बहुमूत्रता - जिसे एकाध घंटे में बार-बार मूत्रत्याग के लिये जाना पड़ता हो उसे मेथी की भाजी के 100 मिली लीटर रस में डेढ़ ग्राम कत्था तथा तीन ग्राम मिस्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिये। इससे बहुत जल्दी लाभ होता है ।
(4) मधुप्रमेह - प्रतिदिन सुबह मेथी की भाजी का 100 मिली लीटर रस पी जाय । शुगर (मधुमेह) की मात्रा ज्यादा हो तो सुबह-शाम दो बार रस पी जाए । साथ ही भोजन में रोटी - चावल एवं चिकनी (घी - तेलयुक्त) तथा मीठी चीजों को छोड़ दे, ऐसा करने से शीघ्र लाभ होता है ।
(5) निम्न रक्तचाप – जिन्हें निम्न रक्तचाप की तकलीफ हो, उन्हें मेथी की भाजी में अदरक, गरम मसाला इत्यादि डालकर सेवन करना लाभप्रद है ।
(६) कृमि - बच्चों के पेट में कृमि हो जाने पर उन्हें मैथी की भाजी का 1से 2 चम्मच रस रोज पिलाने से लाभ होता है।
(7) वायु का दर्द - रोज हरी अथवा सूखी मेथी का सेवन करने से शरीर के 70 प्रकार के वायु-रोगों में लाभ होता है ।
(8) आँव होने पर - मेथी की भाजी मि०ली० रस में 6 ग्राम मिस्री डाल कर पीने से लाभ होता है । 5 ग्राम मेथी का पाउडर 100 ग्राम दही के साथ सेवन करने से भी लाभ होता है।
(3) बहुमूत्रता - जिसे एकाध घंटे में बार-बार मूत्रत्याग के लिये जाना पड़ता हो उसे मेथी की भाजी के 100 मिली लीटर रस में डेढ़ ग्राम कत्था तथा तीन ग्राम मिस्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिये। इससे बहुत जल्दी लाभ होता है ।
(4) मधुप्रमेह - प्रतिदिन सुबह मेथी की भाजी का 100 मिली लीटर रस पी जाय । शुगर (मधुमेह) की मात्रा ज्यादा हो तो सुबह-शाम दो बार रस पी जाए । साथ ही भोजन में रोटी - चावल एवं चिकनी (घी - तेलयुक्त) तथा मीठी चीजों को छोड़ दे, ऐसा करने से शीघ्र लाभ होता है ।
(5) निम्न रक्तचाप – जिन्हें निम्न रक्तचाप की तकलीफ हो, उन्हें मेथी की भाजी में अदरक, गरम मसाला इत्यादि डालकर सेवन करना लाभप्रद है ।
(६) कृमि - बच्चों के पेट में कृमि हो जाने पर उन्हें मैथी की भाजी का 1से 2 चम्मच रस रोज पिलाने से लाभ होता है।
(7) वायु का दर्द - रोज हरी अथवा सूखी मेथी का सेवन करने से शरीर के 70 प्रकार के वायु-रोगों में लाभ होता है ।
(8) आँव होने पर - मेथी की भाजी मि०ली० रस में 6 ग्राम मिस्री डाल कर पीने से लाभ होता है । 5 ग्राम मेथी का पाउडर 100 ग्राम दही के साथ सेवन करने से भी लाभ होता है।
ध्यान दे की दही खट्टा नहीं होना चाहिये ।
(9) वायु के कारण होने वाले हाथ-पैर के दर्द में - मेथी के बीजों को घी में सेंककर उसका चूर्ण बनाये एवं उसके लड्डू बनाकर प्रतिदिन एक लड्डू का सेवन करने से धीरे धीरे फायदा जरूर मिलेगा
(10) गर्मी में लू लगने पर - मेथी की सूखी भाजी को ठंडे पानी में भिगोये । इसके बाद अच्छी तरह भीग जाने पर मसलकर छान ले और उस पानी में शहद मिलाकर एक बार पिलाये, लू मे आराम लगना सुरू हो जाएगा
मैथी पाक बनाने का यह आयुर्वेद का सबसे प्राचीन नुकसा है शीत ऋतु में विभिन्न रोगों से बचने के लिये एवं शरीर की पुष्टि के लिये मेथी पाक का प्रयोग किया जाता है।
(9) वायु के कारण होने वाले हाथ-पैर के दर्द में - मेथी के बीजों को घी में सेंककर उसका चूर्ण बनाये एवं उसके लड्डू बनाकर प्रतिदिन एक लड्डू का सेवन करने से धीरे धीरे फायदा जरूर मिलेगा
(10) गर्मी में लू लगने पर - मेथी की सूखी भाजी को ठंडे पानी में भिगोये । इसके बाद अच्छी तरह भीग जाने पर मसलकर छान ले और उस पानी में शहद मिलाकर एक बार पिलाये, लू मे आराम लगना सुरू हो जाएगा
मेथीपाक कैसे बनाते हैं
मैथी पाक बनाने का यह आयुर्वेद का सबसे प्राचीन नुकसा है शीत ऋतु में विभिन्न रोगों से बचने के लिये एवं शरीर की पुष्टि के लिये मेथी पाक का प्रयोग किया जाता है।
विधि - मेथी एवं सोंठ ३२५ - ३२५ ग्राम की मात्रा में लेकर दोनो का चूर्ण एक साफ कपड़ा से छान ले इसके बाद सवा पाँच लीटर दूध में 325 ग्राम घी डाले फिर उसमें यह चूर्ण मिला दे तब यह सब एक रस होकर जब तक गाढ़ा न हो जाय, तब तक उसे पकाये। उसके पश्चात् उसमें ढाई किलो शक्कर डालकर फिर से धीमी आँच पर पकाये ।
अच्छी तरह पाक तैयार हो जाने पर नीचे उतार ले, फिर उसमें लैंडी पीपर, सोंठ, पीपरामूल, चित्रक, अजवायन, जीरा, धनिया, कलौजी, सौंफ, जायफल, दालचीनी, तेजपत्र एवं नागर मोथा - ये सभी 40 - 40 ग्राम एवं काली मिर्चका 60 ग्राम चूर्ण डालकर मिला दे । अब यह मैथी पाक बनकर तैयार है इस पाक को अपनी क्षमता के अनुसार सुबह खाये ।
अच्छी तरह पाक तैयार हो जाने पर नीचे उतार ले, फिर उसमें लैंडी पीपर, सोंठ, पीपरामूल, चित्रक, अजवायन, जीरा, धनिया, कलौजी, सौंफ, जायफल, दालचीनी, तेजपत्र एवं नागर मोथा - ये सभी 40 - 40 ग्राम एवं काली मिर्चका 60 ग्राम चूर्ण डालकर मिला दे । अब यह मैथी पाक बनकर तैयार है इस पाक को अपनी क्षमता के अनुसार सुबह खाये ।
मैथी पाक से ठीक होने वाले रोग - यह पाक आमवात, अन्य वातरोग, विषमज्वर, पाण्डुरोग, पीलिया, उन्माद, अपस्मार (मिरगी), प्रमेह, वातरक्त, अम्लपित्त, शिरोरोग, नासिका रोग, नेत्ररोग, प्रदररोग आदि सभी में लाभदायक है । यह शरीर के लिये पुष्टिकारक, बलकारक एवं वीर्यवर्धक भी है।
सावधानी इसका अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए इससे आपको शरीर में गर्मी ,बैचेनी आदि बड़ सकती हैं
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