पुनर्नवा के फायदे और नुकसान और प्रयोग होने वाली विधियां

पुनर्नवा के फायदे - पुनर्नवा आंखो के लिए वरदान

पुनर्नवा, साटी या विषखपरा के नाम से विख्यात यह वनस्पति वर्षा ऋतु में बहुत अधिक मात्रा में पायी जाती है। शरीर की आन्तरिक एवं बाह्य सूजन को दूर करने के लिये यह अत्यन्त उपयोगी है।
पुनर्नवा की बेल
पुनर्नवा 

पुनर्नवा ,यह तीन प्रकार की होती है- सफेद, लाल एवं काली । काली पुनर्नवा प्रायः देखने में नहीं आती। पुनर्नवा की सब्जी शोथ (सूजन) - नाशक, मूत्रल तथा स्वास्थ्यवर्द्धक है। पुनर्नवा कड़वी, उष्ण, तीखी, कसैली, रुच्य, अग्रिदीपक, रूक्ष, मधुर, खारी, सारक, मूत्रल एवं हृदय के लिये लाभदायक है । यह पाण्डुरोग, विषदोष एवं शूल का भी नाश करती है।

पुनर्नवा से ठीक होने वाली बीमारी

  1. नेत्रों की फूली - पुनर्नवा की जड़ को घी में घिसकर नेत्र में लगाने से लाभ होता है
  2. नेत्रों की खुजली - पुनर्नवा की जड़ को शहद अथवा दूध में घिसकर काजल की तरह लगाने से नेत्रों की खुजली ठीक हो जाती है
  3. नेत्रों से पानी गिरना - पुनर्नवा की जड़ को शहद में घिसकर आँखों में लगाने से आंख से पानी गिरना बंद हो जाता है ।
  4. रतौंधी - पुनर्नवा की जड़ को कांजी में घिसकर आँखों में आँजना लाभकारी है।
  5. खूनी बवासीर - पुनर्नवा की जड़ को गीली हल्दी मैं मिलाकर खिलाने से खूनी बवासीर ठीक हो जाता है
  6. पीलिया (Jaundice) – पुनर्नवा की जड़ को शहद या मिश्री के साथ कढा बनाकर पीने से पीलिया में आराम मिलता है
  7. मस्तक रोग एवं ज्वर इस रोग मैं पुनर्नवा के पञ्चाङ्ग का 2 ग्राम चूर्ण,10 ग्राम घी एवं 20 ग्राम शहद में प्रातः - सायं खाने से लाभ होता है ।
  8. जलोदर – पुनर्नवा की जड़ के चूर्ण को शहद के साथ खाने से लाभ होता है ।
  9. सूजन - पुनर्नवा की जड़ का काढ़ा पीने से एवं सूजन पर लेप करने से सूजन में लाभ होता है।
  10. पथरी - पुनर्नवा को दूध में उबाल कर सुबह- शाम पीना चाहिये
  11. विष - (क) चूहे का विष - सफेद पुनर्नवा मूल का 2-2 ग्राम चूर्ण आधे ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार लेने से लाभ होता है ।(ख) पागल कुत्ते का विष -सफेद पुनर्नवा के मूल का रस 25 से 50 ग्राम, 20 ग्राम घीमें मिलाकर रोज पिये ।
  12. विद्रधि ( फोड़ा ) - पुनर्नवा के मूल का काढ़ा पीने से कच्चा फोड़ा भी मिट जाता है ।
  13. अनिद्रा - पुनर्नवा के मूल का क्वाथ 100 मिलीलीटर दिन में दो बार पीने से निद्रा अच्छी आती है।
  14. संधिवात - पुनर्नवा के पत्तों की भाजी, सोंठ डालकर खाने से लाभ होता है ।
  15. विलम्बित प्रसव - मूढगर्भ - थोड़ा तिल का तेल मिलाकर पुनर्नवा के मूल का रस, जननेन्द्रिय में लगाने से रुका हुआ बच्चा तुरंत बाहर आ जाता है ।
  16. गैस - पुनर्नवा के मूल का चूर्ण मैं ग्राम, हींग आधा ग्राम तथा काला नमक एक ग्राम गरम पानी से ले।
  17. मूत्रावरोध - पुनर्नवाका 40 मिलीलीटर रस अथवा उतना ही काढ़ा पिये पेडूपर पुनर्नवा के पत्ते बफाकर बाँधे, 1 ग्राम पुनर्नवाक्षार गरम पानी के साथ पीने से तुरंत फायदा होता है।
  18. खूनी बवासीर - पुनर्नवा के मूल को पीसकर फीकी छाछ (200 ml) या बकरी के दूध (200 ml) के साथ पिये ।
  19. वृषण - शोथ पुनर्नवा का मूल दूध में घिसकर लेप करने से वृषण की सूजन मिटती है ।
  20. हृदयरोग – हृदय रोग के कारण सूजन हो जाय तो पुनर्नवा के मूल का 10 ग्राम चूर्ण और अर्जुन के छाल का 10 ग्राम चूर्ण 200 मिलीलीटर पानी में काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीना चाहिये ।
  21. श्वास (दमा) - भोंरग मूल चूर्ण 10 ग्राम और पुनर्नवा चूर्ण 10 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाये। जब 50 मिलीलीटर बचे तब उसमें आधा ग्राम श्रृंगभस्म डालकर सुबह-शाम पिये ।
  22. रसायन प्रयोग - हमेशा स्वास्थ्य बनाये लिये रोज सुबह पुनर्नवा के मूल का या पत्ते का दो चम्मच (10 ml) रस पिनेसे शरीर बिल्कुल स्वस्थ रहता है 

Q- पुनर्नवा क्या है

Ans- यह आयुर्वेदिक औषधि है जो की कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखती है

Q- पुनर्नवा क्या काम करता है

Ans- पुनर्नवा का अर्थ शरीर में ऊर्जा का संचार करना है पुनर्नवा के चूर्ण या कड़े से शरीर स्वस्थ रहता है और यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है

Q- पुनर्नवा कहां पाया जाता है

Ans- समस्त भारत में पाया जाता है

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