केला खाने के फायदे - केला के गुण जान कर चौंक जाएंगे

आदमी को रोज ऊर्जा प्रदान कर सकता है : केला(Benefits of banana)

ऐसा कोई आदमी नहीं है जो केला के बारे में नहीं जानता है केला खाने में स्वादिष्ट और ताकतवर फल माना गया हैं

कला को खाने में भूख ही नहीं मिटता है बल्कि शरीर में ऊर्जा का संचार भी करता है लेकिन व्यक्ति केला को एक साधारण फल की तरह ही मानते है लेकिन यह साधारण फल नही है केला एक प्राचीन प्राकृतिक औषधि है केला के पेड़ के सभी अंग औषधिय है फल, जड़, पत्ते टहनी आदि  

केला फल ही नहीं रोगों से लड़ने वाला योद्धा है

केला के फायदे
केला

केला में पाए जाने वाले पोष्टिक तत्व (Nutritional elements):-

केला खाने से मस्तिष्क को सेरोटोनिन मिलती है। मानसिक रूप से परेशान व्यक्तियों के मस्तिष्क में सेरोटोनिन की कमी होती है। केले में यह कमी पूरी करने की अद्भुत क्षमता है।

केला मोटापा नहीं बढ़ाता । केले में सोडियम बहुत कम होता है तथा कोलेस्ट्रोल बिलकुल नहीं होता । अतः डाइटिंग करनेवाले इसका सेवन कर सकते हैं।

केले में आवश्यक पोटैशियम होता है जो उच्च रक्तचाप के नियन्त्रण करता है तथा कई तरह के हृदय रोगों में फायदेमंद रहता है।

 केला आँतों की सड़न रोकता है। केले का कैल्सियम आँतों की सफाई करने में अत्यन्त प्रभावी भूमिका निभाता है। 

केले का नियमित सेवन अनिद्रा और कब्ज को दूर कर के पेशाब की जलन मिटाता है । यह अतिसार, आँत और कुष्ठ तथा हृदय रोगियों के लिये प्राकृतिक औषधि है। 

यह आसानी से पच जाता है, अतः वायु-विकार (गैस) उत्पन्न नहीं करता। केला शीतल, पौष्टिक, बलवर्धक, कान्तिवर्धक, मधुर, स्निग्ध, वातपित्त नाशक और कफ कारक रहता है। यह तृष्णा एवं दाह का नाश करता है।

केला पौष्टिक तत्त्वों से भरपूर रहता है।

 हरे केले में स्टार्च काफी मात्रा (64 - 74 %) में तथा शर्करा कम (2 %) रहती है, परंतु पकने पर स्टार्च शर्करा (7-25%) तक में बदल जाती है।

पके केले की विशिष्ट खुशबू उसमें उपस्थित एमाइल एसीटेट के कारण रहती है। कच्चा केला क्लोरोफिल के कारण हरा रहता है, परंतु पकने पर एंजाइमों की क्रिया से जैंथोफिल तथा केरोटिन नामक पीले रसायनों में बदल जाता है । 

पके केले में 70 % पानी , 1.2 प्रतिशत प्रोटीन, 0.2 प्रतिशत वसा, 22-25 प्रतिशत शर्करा तथा 1 प्रतिशत रेशा रहता है। इसमें कैल्सियम 17 मिलीग्राम, फास्फोरस 36 मिलीग्राम तथा लोहा 0.9 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में रहता है । इसमें विटामिन A 430 मिलीग्राम, थायमिन 0.09 मिलीग्राम, राइबोफ्लेविन 0.06 मिलीग्राम, नायसिन 0.6 मिलीग्राम तथा विटामिन 'C' 10 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में रहता है। सौ ग्राम केला 99 कैलोरी ऊर्जा देता है।

केले के छिलके के नीचे विटामिन होते हैं, जो केले के पकने पर उसके गूदे में चले जाते हैं तथा छिलका पतला और चित्तीदार हो जाता है।

पका केला ठंडा, रुचिकर, मीठा, सुस्वादु, पुष्टिकारक, रक्तविकारनाशक, पथरी, रक्तपित्त दूर करनेवाला,  नेत्ररोग मिटाने वाला होता है।

केले में फास्फोरस ज्यादा रहता है, जो मन- मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है।

केले में पैक्टिन नामक एक पदार्थ रहता है जो मल को मुलायम बनाकर पेट की सफाई करता है । केले के छिलके के अंदर वाला पतला मुलायम रेशा कब्ज दूर करके आँतों को ठीक रखता है।

केला क्षारधर्मी फल होने के कारण खून की अम्लता को दूर करके क्षारीयता  को बढ़ाता है।

केले के सेवन से बच्चों का वजन जल्दी बढ़ता है। कमजोर व्यक्तियों की पाचन शक्ति ठीक होती है। भूख ज्यादा लगने से वे जल्दी हृष्ट-पुष्ट बनाते हैं ।

बच्चों को दूध के साथ केला खिलाने से बच्चों का  स्वास्थ और हस्त पुष्ट रहता है। इसमें थोड़ा शहद मिलाकर खिलाया जाय तो संक्रामक रोग से भी बचाव होता है।

हर व्यक्ति को सुबह नाश्ते में केला खाकर दूध पीना एक संतुलित तथा सम्पूर्ण आहार माना गया है। इसके सेवन से पित्त-विकार दूर होते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार

  • केला उच्च रक्तचाप के नियन्त्रण में सहायक है । यह हृदय रोग, अतिसार और आँखों के लिये प्राकृतिक औषधि है।
  • स्कर्वी रोग में पके केले का नित्य सेवन रामबाण औषधि है। यह अंतड़ियों में विजातीय पदार्थों की सड़न रोकता है।
  • दही के साथ केले के सेवन से दस्त बंद हो जाते हैं। यह आँतों के प्रवाह में आराम दिलाता है। आँत के रोगों को केला बिना ऑपरेशन ठीक कर देता है।
  • यह एकमात्र फल है जो पेट के जख्म के रोगियों को दिया जा सकता है। यह पेट का अल्सर भी दूर करता है 
  • पेचिश में केले को दही में मथकर उसमें थोड़ा जीरा तथा काला नमक मिलाकर देने से फायदा होता है । अम्लता, पेट की जलन और पित्त में केला खाने  से लाभ मिलता है।
  • मुँह में छाले हों तो केला खाने से लाभ होगा। 
  • नकसीर में 2 - 3 पके केलों का गूदा, दूध तथा शक्कर मिलाकर पीने से आराम मिलता है ।
  • पके केले को मंद आँच में पकाकर नमक, काली मिर्च मिलाकर दमा के रोगी को खिलाने से लाभ होता है ।
  • जिन स्त्रियों को सफेद पानी की शिकायत हो उन्हें कुछ रोज नियमित दो-तीन केले खाने से फायदा हो जायगा ।
  • बार-बार पेशाब लग रहा हो तो बार-बार केला खाना चाहिये ।
  • टाइफायड बुखार उतरने के बाद छोटी इलायची के चूर्ण के साथ रोगी को पका केला खिलाना चाहिये। इससे बुखार से आयी दुर्बलता दूर हो जाती है ।
  • पीलिया रोग में रोगी को कम-से-कम चार पके केले नित्य खाने चाहिये तथा कच्चे केले की सब्जी भी खानी चाहिये ।
  • पेट में जलन हो तो पका केला खाये ।
  • प्रातःकाल दूध में पका केला फेंटकर सेवन करना पुष्टिकारक एवं तृप्तिदायक आहार है । दुबले व्यक्तियों के वजन बढ़ाने में यह मदद करता है।
  • आधा कप गाय के दही में एक केला तथा छोटी इलायची का चूर्ण मिलाकर दिन में दो-तीन बार चाटने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।
  • पका केला शहद के साथ प्रातः काल खाने से हृदय बलवान् बनता है, दिल की धड़कन तथा दिल के दर्दमें
  • लाभ होता है।
  • स्त्रियों के प्रदर रोग में पका हुआ एक केला पाँच ग्राम घी के साथ कुछ दिन सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
  • पके केले के लगातार सेवन से सूखी खाँसी, गले की खराश तथा गुर्दों की कमजोरी दूर हो जाती है।
  • पका केला कृमि रोग नाशक है। इसके सेवन से रक्तकी खराबी दूर होकर त्वचा के रोग नष्ट हो जाते हैं। दाद, खाज, खुजली में पके केले में नीबू का रस मिलाकर मरहम बनाकर लगाये ।
  • जलने पर पके केले का गूदा मरहम की तरह लगाने से जलन शान्त होगी तथा फफोले नहीं पड़ेंगे। 
  • पके केले के गूदे में आटा मिलाकर पानी के साथ गूँथ ले; इसे गरम करके सूजन वाले स्थान पर बाँधने से सूजन दूर हो जायगी।
  • चोट पर केले का छिलका बाँधने से आराम मिलता है। घाव पर केले का पानी लगाकर पट्टी बाँधने से घाव जल्दी भर जाता है ।
  • जो बच्चा मिट्टी खाता हो, उसे पाँच ग्राम शहद के साथ एक केला प्रतिदिन खिलाये। इससे पेट की मिट्टी बाहर आ जायगी तथा बच्चे की मिट्टी खाने की आदत छूट जायगी।
  • बच्चा काँच की गोली, सिक्का आदि निगल जाय तो उसे केला खिलाना चाहिये ।
  • केले के तने का रस गुर्दे, लीवर तथा फेफड़े के रोगों में लाभप्रद है ।
  • खूनी दस्त तथा आँव में दिन में तीन बार केले के ने का रस दो-दो चम्मच पीने से लाभ होता है। 
  • केला की जड़ कृमिनाशक, पौष्टिक, भूख बढ़ाने वाली, पथरी, पेचिश में लाभकारी, मासिक धर्म-शोधक, मधुमेहत था कुष्ठ रोग का नाश करने वाली होती है।

 सावधानियाँ - केला खाने का तरीका 

  1. केले को दिन में ही खाना चाहिये, क्योंकि गरमी में यह जल्दी पचता है । रात में खाया केला जल्दी हज़म नहीं होता ।
  2. खाली पेट केला नहीं खाना चाहिये। खाने के बाद या भोजनके साथ ही इसे खाये ।
  3. केला खाकर पानी न पिये बल्कि दूध या छोटी इलायची खानेसे केला जल्दी हजम हो जायगा ।

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