आँवला के चमत्कारी औषधीय गुणों का प्रयोग

आँवला के चमत्कारी औषधीय गुणों का प्रयोग 

आँवला सर्वश्रेष्ठ शक्तिदायक फल है। इसका दूसरा नाम अमृत-फल है। सचमुच ही इसमें अमृत के गुण हैं। यह विटामिन 'सी' का अनन्त भण्डार है। विटामिन 'सी' का अर्थ है यह शक्ति और स्वास्थ्य का आवश्यक तत्त्व है। एक पुष्ट ताजे आँवले में बीस नारंगियों के बराबर विटामिन 'सी' रहता है। इस प्रकार यह शरीर को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ सुन्दर भी बनाता है। इससे रक्त शुद्ध होता है और शरीर में रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। आँवले की विशेषता यह है कि इसके विटामिन गर्म करने या सुखाने से भी नष्ट नहीं होते। त्रिफला चूर्ण का मुख्य घटक आँवला ही है। च्यवनप्राश इस अमृत- फल से ही बनता है। महर्षि च्यवन ने बुढ़ापा दूर भगाने के लिये अश्विनीकुमार से उपाय पूछा था। उन्होंने च्यवन ऋषि को नित्य इस फल के सेवन करने का निर्देश दिया था। इसी के सेवन से च्यवन ऋषिका बुढ़ापा दूर हो गया था। इन्हीं के नाम पर 'च्यवनप्राश' नाम पड़ गया। ओज, बल एवं युवावस्था को स्थिर रखने और बुढ़ापा दूर करने का यह सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषध है।
आँवला
आँवला

आयुर्वेद के अनुसार

आँवला सर्वरोगनाशक दिव्य अमृत-फल है। यह दाँतों-मसूढ़ोंको मजबूत बनाता है, आँखोंकी ज्योति बढ़ाता है। शरीरमें बल-वीर्यकी वृद्धि करता है। हाई ब्लडप्रेशर, हृदयरोग, कैंसर, नपुंसकता, मन्दाग्नि, स्नायुरोग, चर्मरोग, लीवर और किडनीके रोग, रक्त के रोग, पीलिया, टी०बी०, मूत्ररोग और हड्डियों के रोगों को दूर करने में इसका विशेष योगदान है।

आंवला की विशेषता - 

इसका वृक्ष मध्यमाकार होता है तथा इसके पत्र इमली के पत्रों के सदृश, किंतु छोटे होते हैं। पत्रक के पृष्ठ भाग से फल निकलते हैं। फल हरित- पीताभ वर्ण के गोल होते हैं। इसके फलों का रस अन्त- प्रधान, कषाय, तिक्त, मधुर एव कटु होता है। व्यवहार में बड़े एवं छोटे दोनों प्रकार के फलों का प्रयोग किया जाता है, छोटे फलों में रेशे अधिक होते हैं और गुणों में भी ये उत्तम होते हैं। च्यवनप्राश में सबसे अधिक मात्रा में आमलकी के फल प्रयोग में लाये जाते हैं। ये फल कार्तिक के मध्य से फाल्गुनके मध्य तक मिलते हैं।


आंवला पाए जाने वाले पोष्टिक तत्व
घटक मात्रा - (प्रति 100 ग्राम)
कार्बोहाइड्रेट - 10 ग्राम
प्रोटीन - 0.80 ग्राम
फ़ैट - 0.50 ग्राम
कुल कैलोरी - 44 किलोकैलोरी
फ़ाइबर - 4.3 ग्राम
मैग्नीशियम - 10 मिलीग्राम
कैल्शियम - 25 मिलीग्राम
आयरन - 0.31 मिलीग्राम
पोटैशियम - 198 मिलीग्राम
ज़िंक - 0.12 मिलीग्राम

आँवला त्रिदोषनाशक है। इसमें लवण रस को छोड़कर बाकी पाँचों रस से भरे पड़े हैं।

आधुनिक वैज्ञानिकों ने आँवला पर खोज की है और स्वीकार किया है कि आँवला में पाया जानेवाला एंटी ऑक्सीडेंट इन्जाइम बुढ़ापे को रोकता है। यह खोज तो हजारों वर्ष पहले भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों ने कर डाली थी।

आँवला-तेल को कैसे बनाएं - सिर के रोगों और बालों के लिये परम हितकारी है। इसे घर में बना लेना चाहिये। बाज़ार में मिलने वाले अधिकांश आँवला-तेलों में कृत्रिम सेंट मिला रहता है। घर में बनाना चाहें तो तिल के तेल में ताजे आँवले का रस मिलाकर गरम करें। जब उसका पानी जल जाय तो उतारकर ठंडा करके बोतलमें भर लें और उपयोग करें।

आँवले में जितने रोग-प्रतिरोधक, रक्त-शोधक और बल-वीर्यवर्धक तत्त्व हैं, उतने संसार की किसी वस्तु या औषधि में नहीं हैं। इसलिये स्वास्थ्य-सुख चाहने वालों को अपने आहार में आँवले को प्रमुख स्थान देना चाहिये। लगभग बीस ग्राम च्यवनप्राश एक गिलास दूध के साथ नियमित सेवन करने से आप इसके चमत्कारी गुणों से परिचित हो जायँगे। यह पुनर्यौवन प्रदान करनेवाला सर्वश्रेष्ठ आहार है।

आँवला के औषधिय गुण व स्वास्थ में फायदे

  1. आँवले के ताजे फलों का रस एवं मधु शहद समान मात्रा में मिलाकर पीना चाहिये। यह शरीर में रोग- प्रतिरोधात्मक शक्ति की वृद्धि करता है। बड़ो को इसकी मात्रा 10 से 20 मि० ली० लेनी चाहिये। बालकों एवं वृद्धोंको 2 से 5 मि० ली० तक देना चाहिये। एक मास तक सेवन करना चाहिये।
  2. रक्तार्श में आँवले का चूर्ण 2 से 6ग्राम अथवा स्वरस 5 से 10 मि० ली० लेना चाहिये।
  3. अम्लपित्त में 2 से 6 ग्राम चूर्ण एवं शर्करा समान मात्रा में मिलाकर प्रयोग में लाना चाहिये ।
  4. हाथ-पैरों में जलन होने पर गन्ने के रस में एक चम्मच इसका चूर्ण मिलाकर प्रयोग करे।
  5. आँवले का चूर्ण प्रातः शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से वृद्धावस्था में नेत्र-ज्योति भी ठीक रहती है
  6. जिह्वा में छाले हों तो भोजन के अन्त में आँवले के चूर्ण का सेवन करे।
  7. प्रमेह के रोगी अंबाला-चूर्ण एवं हरिद्रा समान मात्रा में मिलाकर नियमित सेवन करे।
  8. मूत्रदाह अथवा मूत्र के साथ रक्त आने पर आँवले का रस का 5 से 10 मि० ली० प्रयोग करने से आराम मिलता है
  9. नेत्र में जलन होने पर आँवले को पानी में भिगोकर उस जल से नेत्र धोने से लाभ मिलता है।
  10. सिर के बालों को चमकदार बनाने के लिये इसके फलों को जल में रातभर भिगो दें, प्रातः उससे सिर धो ले।
  11. आंवला मोटापे को दूर करता है इसी के साथ यह वजन को घटाता है
  12. आँवले के सेवन से कई प्रकार की एलर्जी खत्म हो जाती है लेकिन कुछ स्थितियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए
  13. आँवला आंखों की रोशनी के साथ-साथ दिमाग की याददाश्त को भी बनाए रखने की ताकत देता है

आंवला को कब नहीं खाना चाहिए (नुकसान)

  1. जिन लोगो को डायबिटिक है इसे रोगी को, आंवला को लेते समय उचित सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इसका सेवन ब्लड शुगर के स्तर को काफ़ी कम कर सकता है।
  2. आंवला का जूस पीने से त्वचा रूखी हो सकती है।
  3. खांसी या कफ़ की समस्या होने पर आंवला के सेवन से बचना चाहिए।
  4. आयुर्वेद किसी प्रकार की सर्जरी के दौरान और उसके बाद आंवला लेने का सुझाव नहीं देता है, क्योंकि इससे ब्लडिंग का खतरा बढ़ सकता है।

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