मूली खाने के फायदे और उसके पोषक तत्व
मूली खाने के फायदे और उसके पोषक तत्व (Benefits of eating radish & its nutrients)
मूली खाने के फायदे आज के युग में मनुष्य अस्पतालों तथा अंग्रेजी दवाइयां की दुकानों में इतना खो गया है कि उसे आसपास उगने वाली वनस्पति औषधि के बारे में बिल्कुल याद नहीं रहता । सब्जियों की ओर ध्यान देने का समय ही नहीं मिल पा रहा है जो बिना किसी हानि के हमारे अनेक बीमारियों को दूर करने में सक्षम है![]() |
मूली खाने के फायदे |
प्रकृति ने हमारे लिए हमारे शरीर की देखभाल के लिए हर प्रकार की औषधियां का निर्माण किया है जो कि कुछ फल के रूप में पाई जाती है और कुछ औषधी वेल पत्ता और लताओं के रूप में पाई जाती है जिनमे से एक है मूली
तो जानते हैं मूली के उपयोग के बारे में और मूली खाने के फायदे के बारे में और इसे किस प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जाता है इन सभी प्रकार की बातों के बारे में आज जानेंगे
मूली में प्रोटीन, कैल्शियम, गंधक, आयोडीन, तथा लोह, तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं इसमें सोडियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, तथा मैग्नीशियम भी होता है
मूली विटामिन A खजाना है विटामिन B और विटामिन C भी इसमें प्राप्त होते हैं हम जिसे मौलिक रूप में जानते हैं वह धरती के नीचे पौधे की जड़ होती है धरती के ऊपर रहने वाले मूली के पत्तो भी अधिक पोषक तत्वों से भरपूर रहते हैं
समानता हम मूली को खाकर उसके पत्तों को फेंक देते हैं यह गलत है ऐसा नहीं करना चाहिए
मूली के पौधे में आने वाली फलियाँ- मूली की फली भी समान रूप से उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक हैं । सामान्यतः लोग मोटी मूली पसंद करते हैं। मोटी मूली अधिक अधिक स्वादिष्ठ होती है। परंतु स्वास्थ्य तथा उपचार की दृष्टि से छोटी-पतली और चरपरी मूली ही उपयोग करना चाहिए । ऐसी मूली त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) - नाशक है। इसके विपरीत मोटी और पक्की मूली त्रिदोषकारक मानी गयी है ।
उपयोगिता की दृष्टि से मूली बेजोड़ है । अनेक छोटी-बड़ी व्याधियाँ मूली से ठीक की जा सकती हैं। मूली का रंग सफेद है, परंतु यह शरीर को लालिमा प्रदान करती है। भोजन के साथ या भोजन के बाद मूली खाना विशेष रूप से लाभदायक है। मूली और इसके पत्ते भोजन को ठीक प्रकार से पचाने में सहायता करते हैं। वैसे तो मूली के पराठे, रायता, तरकारी, अचार तथा भुजिया- जैसे अनेक स्वादिष्ठ व्यञ्जन बनते हैं । परंतु सबसे अधिक लाभदायक है कच्ची मूली । भोजन के साथ प्रतिदिन एक मूली खा लेने से व्यक्ति अनेक बीमारियों से मुक्त रह सकता है ।
मूली शरीर से विषैली गैस (कार्बनडाइ आक्साइड) को निकालकर जीवन दायी ऑक्सीजन प्रदान करती है । मूली हमारे दाँतों को मजबूत करती है तथा हड्डियों को शक्ति प्रदान करती है। इसके सेवन से व्यक्ति की थकान मिटती है और अच्छी नींद आती है। मूली से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं तथा यह पेट के घाव को ठीक करती है। यह उच्च रक्तचाप को नियन्त्रित करती तथा बवासीर और हृदय रोग को शान्त करती है। इसका ताजा रस पीने से मूत्रसम्बन्धी रोगों में राहत मिलती है। पीलिया रोग में भी मूली लाभ पहुँचाती है। अफरे में मूली के पत्तों का रस विशेष रूप से उपयोगी होता है।
मूली सौन्दर्य वर्धक भी है। इसके प्रतिदिन सेवन से रंग निखरता है, खुश्की दूर होती है, रक्त शुद्ध होता है और चेहरे की झाइयाँ, कील तथा मुँहासे आदि साफ होते हैं। नीबू के रस में मूली का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे का सौन्दर्य निखरता है। सर्दी-जुकाम तथा कफ-खाँसी में भी मूली फायदा पहुँचाती है। इन रोगों में मूली के बीज का चूर्ण विशेष लाभदायक होता है।
उपयोगिता की दृष्टि से मूली बेजोड़ है । अनेक छोटी-बड़ी व्याधियाँ मूली से ठीक की जा सकती हैं। मूली का रंग सफेद है, परंतु यह शरीर को लालिमा प्रदान करती है। भोजन के साथ या भोजन के बाद मूली खाना विशेष रूप से लाभदायक है। मूली और इसके पत्ते भोजन को ठीक प्रकार से पचाने में सहायता करते हैं। वैसे तो मूली के पराठे, रायता, तरकारी, अचार तथा भुजिया- जैसे अनेक स्वादिष्ठ व्यञ्जन बनते हैं । परंतु सबसे अधिक लाभदायक है कच्ची मूली । भोजन के साथ प्रतिदिन एक मूली खा लेने से व्यक्ति अनेक बीमारियों से मुक्त रह सकता है ।
मूली शरीर से विषैली गैस (कार्बनडाइ आक्साइड) को निकालकर जीवन दायी ऑक्सीजन प्रदान करती है । मूली हमारे दाँतों को मजबूत करती है तथा हड्डियों को शक्ति प्रदान करती है। इसके सेवन से व्यक्ति की थकान मिटती है और अच्छी नींद आती है। मूली से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं तथा यह पेट के घाव को ठीक करती है। यह उच्च रक्तचाप को नियन्त्रित करती तथा बवासीर और हृदय रोग को शान्त करती है। इसका ताजा रस पीने से मूत्रसम्बन्धी रोगों में राहत मिलती है। पीलिया रोग में भी मूली लाभ पहुँचाती है। अफरे में मूली के पत्तों का रस विशेष रूप से उपयोगी होता है।
मूली सौन्दर्य वर्धक भी है। इसके प्रतिदिन सेवन से रंग निखरता है, खुश्की दूर होती है, रक्त शुद्ध होता है और चेहरे की झाइयाँ, कील तथा मुँहासे आदि साफ होते हैं। नीबू के रस में मूली का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे का सौन्दर्य निखरता है। सर्दी-जुकाम तथा कफ-खाँसी में भी मूली फायदा पहुँचाती है। इन रोगों में मूली के बीज का चूर्ण विशेष लाभदायक होता है।
मूली के सेवन से अन्य अनेक रोगों में भी लाभ मिलता है। जैसे-
- बाबासीर - में लाभ मूली और इसके पत्ते तथा जिमीकंद के कुछ टुकड़े एक सप्ताह तक काँजी में डाले रखने तथा उसके बाद उसके सेवन से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक होती है और बवासीर का रोग नष्ट हो जाता है। हल्दी के साथ मूली खाने से भी बवासीर में लाभ होता है।
- गुर्दे की पथरी - मूली के पत्तों के चार तोले रस में तीन माशा अजमोद का चूर्ण और चार रत्ती जोखार मिलाकर दिनमें दो बार नियमित एक सप्ताह तक लेने पर गुर्दे की पथरी गल जाती है।
- भूख लगना - एक कप मूली के रस में एक चम्मच अदरक का और एक चम्मच नीबू का रस मिलाकर नियमित सेवन करने से भूख बढ़ती है तथा पेट सम्बन्धी सभी रोग नष्ट होते हैं ।
- खून बड़ाना मूली के रस में समान मात्रा में अनार का रस मिलाकर पीने से रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ता है और रक्ताल्पता का रोग दूर हो जाता है।
- खाँसी और दमा - सूखी मूली का काढ़ा बनाकर उसमें जीरा और नमक डालकर पीने से खाँसी और दमा में राहत मिलती है।
- हिचकी में फायदा - मूली के पत्ते चबाने से हिचकी बंद हो जाती है।
- कान का दर्द -मूली के रस में तिल्ली का तेल मिलाकर और उसे हलका गर्म करके कान में डालने से कर्णनाद, कान का दर्द तथा कान की खुजली ठीक होती है। मूली के पत्ते चबाने से हिचकी बंद हो जाती है।
- चर्म रोग मैं आराम - मूली के बीजों को उसके पत्तों के रस के साथ पीसकर यदि लेप किया जाय तो अनेक चर्म रोगों से मुक्ति मिल सकती है।
- मोटापे को दूर करे - मनुष्य का मोटापा अनेक बीमारियों की जड़ है इससे बचने के लिये मूली बहुत लाभदायक है मूली का रस में थोड़ा नमक और नीबू का रस मिलाकर नियमित पीने से मोटापा कम होता है और शरीर सुडौल बन जाता है
- जुओं को मारे - पानी में मूली का रस मिलाकर सिर धोने से जुएँ नष्ट हो जाते हैं।
- नेत्र की ज्योति जागृति - विटामिन A पर्याप्त मात्रा में होने से मूली का रस नेत्र की ज्योति बढ़ाने में भी सहायक होता है।
- जोड़ों का दर्द - मूली का नियमित सेवन शरीर के जोड़ों की जकड़न को दूर करता है ।
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